'धुरंधर' मसखरा होने के साथ खतरनाक रोल में हैं राकेश बेदी, बोले- असल चुनौती तो सीन फिल्माने में होती है

आदित्य धर द्वारा निर्देशित और निर्मित फिल्म 'धुरंधर' का बोलबाला हर तरफ देखने को मिल रहा है. फिल्म में लीड रोल निभाने वाले अभिनेताओं की तारीफ हो रही है, लेकिन फिल्म में कुछ ऐसे किरदार भी रहे, जो लीड रोल में नहीं, बल्कि पूरी कहानी को बुनने में सहायक रहे.

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नई दिल्ली:

आदित्य धर द्वारा निर्देशित और निर्मित फिल्म 'धुरंधर' का बोलबाला हर तरफ देखने को मिल रहा है. फिल्म में लीड रोल निभाने वाले अभिनेताओं की तारीफ हो रही है, लेकिन फिल्म में कुछ ऐसे किरदार भी रहे, जो लीड रोल में नहीं, बल्कि पूरी कहानी को बुनने में सहायक रहे. ऐसा ही रोल फिल्म में राकेश बेदी ने निभाया है, जो मसखरा होने के साथ-साथ खतरनाक भी है. उन्होंने फिल्म में जमील जमाली नाम के पाकिस्तानी नेता का रोल प्ले किया है. अब उन्होंने आईएएनएस से फिल्म 'धुरंधर,' अपने किरदार की चुनौतियां, और फिल्म के अनुभवों को शेयर किया है.

 राकेश बेदी ने आईएएनएस से खास बातचीत में कहा कि यह किरदार असली घटनाओं से प्रेरित है और इसे कई पाकिस्तानी नेताओं की खूबियों को मिलाकर बनाया गया है. मैंने इस किरदार को पूरी तरह अपनाने के लिए सिर्फ कई नेताओं की स्पीच, आवाज, बोलने का तरीका और बॉडी लैंग्वेज का अध्ययन किया. अपने किरदार की चुनौतियों पर बात करते हुए अभिनेता ने कहा कि असली चुनौती शूटिंग के दौरान सीन करने में होती है. किसी भी सीन को अच्छे से करने के लिए सबसे पहले सहज होना जरूरी होता है.

राकेश बेदी अपनी कॉमेडी के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने हमेशा अपने हास्य किरदारों से फैंस का दिल जीता है. अब आज की कॉमेडी और पहले की क्लासिक कॉमेडी पर बात करते हुए अभिनेता राकेश बेदी ने कहा कि फिल्म 'चुपके चुपके', 'चश्मे बद्दूर', 'चलती का नाम गाड़ी', या 'पड़ोसन' जैसी क्लासिक फिल्में देखें, तो ये सच्ची कॉमेडी फिल्में थीं जो किसी खास कॉमेडियन पर निर्भर नहीं थीं. हर किरदार में ह्यूमर था. हमारे देश में, हर दशक में औसतन लगभग एक प्योर कॉमेडी फिल्म बनती है. आज दो सीरियल हैं 'भाभी जी घर पर हैं' और 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा', जो नेचुरल ह्यूमर बनाए रखते हैं. इत्तेफाक से मैं दोनों का हिस्सा रहा हूं. वे लंबे समय तक चले हैं क्योंकि उनका ह्यूमर ऑर्गेनिक है.

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