कैसे राज कपूर की इस फिल्म से मजबूत हुआ था भारत-रूस संबंध? विदेशी जमीन पर बिके थे 6 करोड़ 40 लाख टिकट

अगर हिंदी सिनेमा की बात हो तो फिल्मों और भारतीय कलाकारों को रूस में समय-समय पर सराहा गया है. इसकी बड़ी वजह है हिंदी फिल्में हमेशा भाईचारे, अपनेपन, संस्कृति और भावनाओं से भरी रही हैं. यही वजह रही है कि राज कपूर को रूस ने सिर-आंखों पर बैठाया.

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राज कपूर की वो फिल्म जिससे सुधरे थे भारत-रूस के संबंध
नई दिल्ली:

रूस और भारत के सांस्कृतिक संबंध काफी पुराने, मजबूत, विविध और परस्पर सम्मान पर आधारित हैं. सोवियत संघ के समय से ही दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान होता रहा है. फिल्म, संगीत, नृत्य या फिर साहित्य का ही क्षेत्र क्यों न हो, दोनों देशों ने हमेशा एक-दूसरे को प्रभावित किया है. संबंधों की प्रगाढ़ता को ऐसे ही समझा जा सकता है कि रूस में भारत दिवस और भारत में रूसी सांस्कृति पर आधारित प्रदर्शनी और कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता है.

संस्कृति, राजनीति, व्यापार, रणनीति और हिंदी सिनेमा की बदौलत अप्रैल 1947 से शुरू हुए रूस और भारत के राजनयिक संबंध मजबूती से आगे बढ़ रहे हैं. अगर हिंदी सिनेमा की बात हो तो फिल्मों और भारतीय कलाकारों को रूस में समय-समय पर सराहा गया है. इसकी बड़ी वजह है हिंदी फिल्में हमेशा भाईचारे, अपनेपन, संस्कृति और भावनाओं से भरी रही हैं. यही वजह रही है कि दिवंगत लीजेंड एक्टर राज कपूर को रूस ने सिर-आंखों पर बैठाया.

भारतीय सिनेमा और रूसी दर्शकों के बीच प्रेम का रिश्ता दशकों पुराना है. हिंदी सिनेमा और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने का श्रेय राज कपूर को जाता है. उनकी फिल्में रूस के लोगों को बहुत पसंद आती थीं और दीवानगी ऐसी थी कि उनकी एक झलक देखने के लिए हजारों की भीड़ लग जाती थी. वे पहले बॉलीवुड के अभिनेता थे, जिन्हें रूस में बिना वीजा के एंट्री मिली थी और वहां उनके सम्मान में स्टैच्यू भी बना. आज भी रूस में राज कपूर साहब की विरासत और उनकी फिल्मों को जिंदा रखने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम होते रहते हैं.

साल 1951 में राज कपूर की फिल्म 'आवारा' रिलीज हुई थी. इस फिल्म में उनका गाना 'सर पे लाल टोपी रूसी फिर भी दिल है हिंदुस्तानी' को रूस में सबसे ज्यादा पसंद किया गया था. रूस में इस फिल्म का प्रीमियर 1954 में रखा गया था. इसे देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी थी और करीब 6 करोड़ 40 लाख टिकट बिके थे. फिल्म का क्रेज इतना ज्यादा बढ़ गया है कि 'सर पे लाल टोपी रूसी' वहां का लोकल एंथम बन गया. हर किसी की जुबान पर वही गाना था. बाद में फिल्म को रूसी अनुवाद के साथ ही रिलीज किया गया.

फिल्म 'आवारा' को इतनी सफलता मिली कि राज कपूर को रूस जाना पड़ा. राज कपूर के पास वीजा नहीं था, लेकिन उनकी लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें बिना वीजा के देश में आने की इजाजत मिली. राज कपूर रूस पहुंच गए, लेकिन एयरपोर्ट पर हजारों की भीड़ ने उन्हें घेर लिया है और गाड़ी आगे की दिशा में बढ़ने की बजाय ऊपर की तरफ उठने लगी. ऐसा इसलिए क्योंकि वहां मौजूद उनके चाहने वालों ने गाड़ी को अपने कंधों के सहारे हवा में उठा दिया था. फिल्म 'आवारा' पहली फिल्म थी, जिसे कल्चर इम्पोर्ट के तौर पर पहली बार रूस में रिलीज करने का फैसला किया गया था, जिसके बाद देव आनंद और दिलीप कुमार की फिल्में भी रूस में रिलीज होने लगीं.

राज कपूर की 'मेरा नाम जोकर' (1970) और 'श्री 420' भी रिलीज हुईं. 'मेरा नाम जोकर' में अभिनेता ने रूसी अभिनेत्री सेनिया लावोव्ना रियाबिनकिना के साथ काम किया, जिन्होंने उनकी प्रेमिका मरीना का रोल प्ले किया था. हिंदी फिल्मों को रूस में पसंद किए जाने का एक और महत्वपूर्ण कारण था. रूस में 1947 के समय प्रोपेगैंडा फिल्मों का चलन बहुत ज्यादा हुआ करता था, जो फीकी और नीरस होती थीं. जानबूझकर लोगों के दिमाग में राष्ट्रवाद और देशप्रेम की एकतरफा कहानियों को भरा जाता था और उसके उलट राज कपूर की फिल्मों में सुंदर वादियां और नरगिस के साथ रोमांस ने दर्शकों का दिल जीत लिया था.

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