शाहरुख खान और काजोल की जोड़ी ने फिल्मी पर्दे पर कुछ ऐसा जादू जगाया कि शाहरुख खान को रोमांस किंग का ही खिताब मिल गया. काजोल के साथ उनकी जोड़ी कई और फिल्मों में उनकी रोमांटिक इमेज को जमाने में कामयाब रही. लेकिन शाहरुख खान और काजोल से पहले ये जादू कई और भी जोड़ियां जगा चुकी हैं. फिल्मों में रोमांस के रंग तब भी दिखते थे जब पर्दा ब्लैक एंड व्हाइट हुआ करता था. ऐसी ही एक रोमांटिक जोड़ी थी राज कपूर और नर्गिस. जिन्हें फिल्मी पर्दे पर देखकर दर्शकों को इस जोड़ी से ऐसा प्यार हुआ कि हर बार टिकट खिड़की पर उसका इकरार नजर आता रहा. बॉलीवुड डायरेक्ट ने अपने ट्विटर हैंडल से दोनों की एक कैंडिड फोटो पोस्ट की है. जिसके बाद दोनों की जोड़ी की यादें एक बार फिर ताजा हो गई हैं. इस मौके पर जानते हैं कुछ ऐसी फिल्मों के बारे में जिसमें नर्गिस और राजकपूर की जोड़ी का जादुई इश्क नजर आया. नर्गिस और राज कपूर की ये सभी फिल्में बेहतरीन म्यूजिक और अदाकारी से सजी हैं. यही वजह हैं कि इन्हें दर्शकों का भी बेशुमार प्यार मिला.
आवारा (Awara, 1951)
खुद ही खुद को आवारा कहते हुए सड़क पर निकले एक भटके युवा का हाथ थाम कर उसे रास्ते पर लाने वाली एक युवती की कहानी है. भटका हुआ युवा हैं राज कपूर जिन्हें नरगिस के रूप में बचपन का प्यार मिलता है. फिर वो कैसे रास्ते पर लौटता हैं यही है आवारा की कहानी.
श्री 420 (Shree 420, 1955)
राज कपूर की ताकत थी चेहरे पर मासूमियत और नरगिस की ताकत थी चेहरे की सादगी के बीच खिली मुस्कान. बस यही कॉम्बिनेशन इस फिल्म में अपना जादू चलाने में कामयाब रहा. एक सीधा सादा युवक अमीरों के जाल में फंस जाता है. लेकिन भोली भाली लड़की का प्यार उसे वापस ईमानदारी की दुनिया में ले आता है.
चोरी चोरी (Chori Chori, 1956)
इस फिल्म में नरगिस बनी हैं एक अमीरजादी और राज कपूर एक ऐसे स्ट्रगलिंग रिपोर्टर जिन्हें अच्छी कहानी की तलाश है. कहानी के तलबगार को जब एक गुस्सैल अमीरजादी की खबर मिलती है फिर क्या मजेदार ट्विस्ट एंड टर्न्स आते हैं. जो उनकी तकरार को इकरार में बदल देते हैं. बस यही है इस फिल्म की कहानी.
बरसात (Barsaat, 1949)
अपने प्यार को पाने की खातिर प्रेमी क्या कुछ नहीं गुजरते. बरसात की कहानी ऐसे ही दो प्रेमियों की कहानी है. जिनके किरदार में जान डाली नरगिस और राजकपूर ने. फिल्म में एक और जोड़ी है प्रेमनाथ और निम्मी की. लेकिन इस प्यार में वफा नहीं थी. नतीजा वही हुआ प्यार का दुखद अंत.
आह (Aah, 1953)
नरगिस और राज कपूर की ऐसी प्रेम कहानी जिसमें जज्बात और अल्फाज साथ साथ अपना असर दिखाते हैं. लव लेटर्स के जरिए दोनों को प्यार होता है. जिसके बाद हर मुश्किल पार करना आसान लगने लगता है.