69 साल पहले राज कपूर ने दी थी साल की सबसे बड़ी हिट फिल्म, कई दिनों तक लगी रही सिनेमाघरों के बाहर लाइन

Raj Kapoor 100th Birth Anniversary: भारतीय सिनेमा जगत में ग्रेट और वर्सेटाइल राज कपूर का नाम अमिट है. बेहतरीन अदाकारी हो या शानदार डायलॉग, अपने हर अंदाज में ‘शोमैन’ फिट थे.

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श्री 420' से शोमैन तक, एक अदाकार का दमदार सफर
नई दिल्ली:

Raj Kapoor 100th Birth Anniversary: भारतीय सिनेमा जगत में ग्रेट और वर्सेटाइल राज कपूर का नाम अमिट है. बेहतरीन अदाकारी हो या शानदार डायलॉग, अपने हर अंदाज में ‘शोमैन' फिट थे. शनिवार 14 दिसंबर को राज कपूर की 100वीं जयंती है, जिसे कपूर फैमिली धूमधाम से मनाने की तैयारी कर रहा है. राज कपूर भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, मगर वह अपनी कमाल की फिल्मों और शानदार एक्टिंग के साथ आज भी दर्शकों के दिलों में जिंदा हैं. वर्सेटाइल अभिनेता का 'श्री 420' से शोमैन तक का सफर उम्दा, दमदार और अद्वितीय रहा.

अभिनेता, निर्देशक और प्रोड्यूसर रहे राज कपूर को भारतीय सिनेमा का 'शोमैन' कहा जाता है. वह जो भी सीन शूट करते थे या फिल्म साइन करते थे, उसमें डूब जाते थे और उसे परफेक्ट करने में लगे रहते थे. उन्हें न समय की चिंता रहती थी और न थकान की, बस एक संकल्प साथ रहता था, 'बेस्ट' हासिल करने का. राज कपूर जब पर्दे पर आते थे तो उनकी एक्टिंग देख दर्शक सम्मोहित हो जाते थे. एक तरफ 'मेरा नाम जोकर' उनकी एक्टिंग ने दर्शकों के थियेटरों में खूब रुलाय तो 'जान पहचान' में कॉमेडी सीन देख दर्शक हंसने पर मजबूर हो गए. दो बच्चों की खूबसूरत कहानी 'बूट पॉलिश' को देख दर्शक सिनेमाघरों में तालियां बजाते थे.

और, 1955 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म 'श्री 420' को कैसे भूला जा सकता है. प्रयागराज का एक देहाती लड़का जब कमाने के लिए मायानगरी मुंबई आता है और मासूमियत के साथ 420 से श्री 420 तक का सफर पूरा करता है, तो इतिहास राज कपूर की इस शानदार फिल्म की कहानी को सफलता की किताब में शामिल करता है. फिल्म का 'मेरा जूता है जापानी' गाना आज भी लोगों की जुबान पर तैरता है. मुकेश की आवाज ने गाने में चार चांद लगा दी है. कहानी को नए मिजाज के साथ पेश करने में राज कपूर को महारत हासिल थी और इसकी पुष्टि के लिए उनकी चंद फिल्में ही काफी थीं.

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राज कपूर ने 'जिस देश में गंगा बहती है', 'बॉबी', 'छलिया', 'श्रीमान सत्यवादी', 'कन्हैया', 'संगम', 'दिल ही तो है', 'अनाड़ी', 'दो उस्ताद', 'मैं नशे में हूं', 'सत्यम शिवम सुन्दरम', 'परवरिश', 'मेरा नाम जोकर', 'बेवफा', 'आवारा', 'बरसात', 'अमर प्रेम' जैसी फिल्मों की कहानी को एक नए मिजाज के साथ पेश किया, जो बताता है कि उन्हें 'भारतीय सिनेमा का शोमैन' क्यों कहा जाता है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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