सीतल बतब्याल नाम सुनकर आप सोच रहे होंगे कि ये कौनसा हीरो है जिसका नाम आजतक नहीं सुना और ये इतनी बड़ी-बड़ी हिट फिल्में दे चुका है. आपने इस एक्टर का नाम इसलिए नहीं सुना क्योंकि इनका स्क्रीन नेम कुछ और था. फिल्मी स्क्रीन पर ये हमेशा प्रदीप कुमार नाम से नजर आए और इसी नाम से स्टार बने और अच्छी खासी फैन फॉलोइंग, नाम और शौहरत हासिल की. प्रतीप कुमार यानी सीतल को हिंदी, बंगाली और अंग्रेजी फिल्मों में उनके काम के लिए पहचाना जाता है.
17 की उम्र में लिया एक्टर बनने का फैसला
प्रदीप कुमार ने 17 साल की उम्र में एक्टिंग में अपना भविष्य बनाने का फैसला लिया और बंगाली फिल्मों से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की. उनकी यादगार बंगाली फिल्मों में अलकनंदा (1947) और 42 (1951) हैं. इसके बाद प्रदीप कुमार बाम्बे और फिल्मीस्तान स्टूडियो शिफ्ट हो गए और फिल्म आनंदमठ (1952) में एक अहम किरदार निभाया. उन्होंने अनारकली, नागिन, मधुबाला, राज हाथ, शिरीन फरहाद, गेटवे ऑफ इंडिया, यहूदी की लड़की जैसी शानदार फिल्में की हैं. ताजमहल, भीगी रात, घूंघट, आरती, एक शोला कुछ और ऐसी फिल्में हैं जिन्हें भुलाया नहीं जा सकता.
कम बजट में बनी अनारकली ने कमाए थे करोड़ों
साल 1953 में आई अनारकली को नंदलाल जसवंतलाल ने डायरेक्ट किया था. इस फिल्म की कहानी नासिर हुसैन ने लिखी थी और ये मुगल-ए-आजम की थीम पर ही थी. 1953 में आई ये फिल्म इंडियन सिनेमा की हिस्ट्री में सबसे बड़ी बॉक्स ऑफिस सक्सेसफुल फिल्मों में से एक है. ये फिल्म 1953 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म थी. इस फिल्म ने उस साल दो करोड़ 35 लाख कमाए थे. अगर आज के हिसाब से इस कमाई और बजट को देखा जाए तो फिल्म की कलेक्शन हजार करोड़ क्लब में आराम से एंट्री ले सकती है. बताइए तो कमाई के मामले में दे डाली ने बड़े बड़े स्टार्स को दी मात.