प्रीति जिंटा ने शहीद जवानों की पत्नियों की मदद के लिए दान किए 1 करोड़ रुपये

वीर-ज़ारा की एक्ट्रेस ने रविवार (25 मई) को अपने इंस्टाग्राम पर इस कार्यक्रम का एक वीडियो शेयर किया, जिसमें वह सेना के परिवारों को संबोधित करती नजर आ रही हैं.

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प्रीति जिंटा ने लंबी पोस्ट में शेयर किया अपना एक्सपीरियंस
नई दिल्ली:

बॉलीवुड एक्ट्रेस और आईपीएल टीम पंजाब किंग्स की को-ओनर प्रीति जिंटा ने भारतीय सेना की दक्षिण पश्चिमी कमान के तहत आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन (AWWA) को ₹1 करोड़ का दान दिया है. उनका यह योगदान भारत के ऑपरेशन सिंदूर के लॉन्च के कुछ दिनों बाद आया है, जिसे 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया था. इसमें पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों ने 26 पर्यटकों की बेरहमी से हत्या कर दी थी. 

वीर-ज़ारा की एक्ट्रेस ने रविवार (25 मई) को अपने इंस्टाग्राम पर इस कार्यक्रम का एक वीडियो शेयर किया, जिसमें वह सेना के परिवारों को संबोधित करती नजर आ रही हैं. अपने भाषण में उन्होंने सैनिकों और उनके परिवारों की उनके साहस और शक्ति के लिए तारीफ की. उन्होंने अपने संबोधन के दौरान कहा, "हमारी भारतीय सेना, पराक्रमी नहीं, बहुत बहादुर भी है, लेकिन उससे ज्यादा बहादुर और पराक्रमी सबके परिवार वाले हैं. यह तो एक बहुत छोटी सी भेंट है हमारी तरफ से."

वीडियो के साथ, उन्होंने एक लंबा कैप्शन पोस्ट किया जिसमें उन्होंने कार्यक्रम में अपने इमोशनल पलों के बारे में बताया. उन्होंने दक्षिण पश्चिमी कमान के सभागार में अपनी यात्रा के बारे में बताया और बताया कि सैनिकों और उनके परिवारों की कहानियों और बलिदानों से वह कितनी गहराई से प्रभावित हुईं.

‘मैंने सेना के अधिकारियों और जवानों के पोस्टर देखे'

उन्होंने कैप्शन में लिखा, "जब मैं भारतीय सेना के दक्षिण पश्चिमी कमान के सभागार की तरफ जा रही थी तो मैंने सेना के अधिकारियों और जवानों के पोस्टर देखे, जिन्होंने अलग-अलग बहादुरी पुरस्कार जीते थे. कुछ ने हमारे देश के लिए अपनी जान दे दी, जबकि कुध युद्ध के मैदान से जख्मों के साथ वापस आए. ये लोग पति, बेटे, भाई और पिता थे. वे हमारे सशस्त्र बलों का हिस्सा हैं और उन्होंने हमारे कल के लिए अपना आज कुर्बान कर दिया!"

उन्होंने लिखा, "कार्यक्रम में मैं उन महिलाओं से मिली जो इन अपनों को हर दिन और हर पल याद करती होंगी. मैं उनके बच्चों से मिली और उनकी मुस्कान देखी. वहां कोई शिकायत नहीं थी, कोई आंसू नहीं थे - केवल गर्व, शक्ति और बलिदान था. उस सभागार में इतनी बहादुरी थी कि मैं शब्दों से परे विनम्र हो गई. इन वीर नारियों और उनके परिवारों के साथ मंच साझा करना वास्तव में मेरे लिए सम्मान की बात थी."

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