स्मिता पाटिल के बेटे प्रतीक ने बयां किया दर्द, 'पूरी ज़िंदगी पहचान के लिए करता रहा संघर्ष..., पत्नी प्रिया के कहने पर अपने साथ जोड़ा मां का नाम

दिवंगत दिग्गज अभिनेत्री स्मिता पाटिल और राजनेता-अभिनेता राज बब्बर के बेटे एक्टर प्रतीक बब्बर ने अब ऑफिशियली पर अपना नाम बदलकर प्रतीक स्मिता पाटिल रख लिया है.

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स्मिता पाटिल के बेटे प्रतीक ने बयां किया दर्द, 'पूरी ज़िंदगी पहचान के लिए करता रहा संघर्ष..., पत्नी प्रिया के कहने पर अपने साथ जोड़ा मां का नाम
इस वजह से प्रतीक बब्बर, बन गए प्रतीक स्मिता पाटिल
नई दिल्ली:

दिवंगत दिग्गज अभिनेत्री स्मिता पाटिल और राजनेता-अभिनेता राज बब्बर के बेटे एक्टर प्रतीक बब्बर ने अब ऑफिशियली पर अपना नाम बदलकर प्रतीक स्मिता पाटिल रख लिया है. द फ्री प्रेस जर्नल के साथ एक इंटरव्यू में प्रतीक ने बताया कि उन्होंने अपने पिता का सरनेम छोड़ने और अपनी मां का नाम अपनाने का फैसला क्यों किया.

मां का कर्ज चुकाने की कोशिश

प्रतीक ने कहा कि, "पूरी ज़िंदगी, अजीब तरह से, मैं इस पहचान के साथ संघर्ष करता रहा कि मैं कौन हूं और मैं किसका हूं, और आखिरकार मुझे एहसास हुआ कि मैं कौन हूं, और मैं अपनी मां का हूं, और मैं पूरा महसूस करता हूं अब मैं पूरा हो गया हूं. मैं प्रतीक स्मिता पाटिल हूं. मैं पूरा हो गया हूं. मैं संतुष्ट हूं और मुझे गर्व है कि उनका नाम, उनका पूरा नाम मेरे साथ है. साथ ही, मैं उसका ऋणी हूं. उन्होंने मेरे लिए अपनी जान दे दी. इस दुनिया में ऐसी कोई और चीज़ नहीं थी जो उस महिला को मां बनने और मेरी मां बनने से ज़्यादा चाहिए हो. वह मेरे साथ जीवन जीने के अलावा और कुछ नहीं चाहती थी, लेकिन वह नहीं कर सकी. यह दुखद है इसलिए कम से कम मैं यही कर सकता था. मैं उनका ऋणी हूं.”

दादा-दादी के गुजरने के बाद लिया पिता का सहारा

प्रतीक ने प्रतीक बब्बर के नाम से फिल्म इंडस्ट्री में प्रवेश किया लेकिन अंदरूनी उथल-पुथल जारी रही. इस बारे में उन्होंने कहा, “मुझे एहसास हुआ कि मैं अपने माता-पिता में से किसी के साथ जुड़ना नहीं चाहता. फिर मैं थोड़े समय के लिए सिर्फ़ प्रतीक बन गया. फिर मेरे दादा-दादी का निधन हो गया. इसके बाद मैं अपने पिता से फिर से जुड़ गया क्योंकि मुझे लगा कि मेरा कोई नहीं है. मेरा कोई परिवार नहीं था. मुझे लगा कि वे मेरे एकमात्र गार्डियन हैं.”

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लेकिन तब भी प्रतीक को अपनी पहचान पूरी नहीं लग रही थी. उन्होंने कहा, “लेकिन फिर मैंने सोचा ‘मेरी मां मेरे जीवन और मेरी पहचान का इतना बड़ा हिस्सा हैं, वे मेरे नाम का हिस्सा क्यों नहीं हैं' तो फिर प्रतीक बब्बर, प्रतीक पाटिल बब्बर बन गए.”

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शादी के पहले उन्होंने अपने नाम पर फिर से विचार किया. उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि शादी से कुछ महीने पहले, प्रिया और मैं बात कर रहे थे. मुझे लगता है कि हम थोड़े भावुक हो गए थे और मुझे अपनी मां की याद आने लगी. वह भी भावुक हो गई और हम चर्चा कर रहे थे कि 'मैं उनके लिए क्या कर सकता हूं?' और प्रिया ने कहा, 'तुम उनके पूरे नाम को क्यों नहीं अपना लेते?' और मैंने कहा, 'मैं उस महिला का ऋणी हूं जिसने मेरे लिए अपनी जान दे दी. मैं उनका ऋणी हूं.' तो अब, मैं प्रतीक स्मिता पाटिल हूं. और मैं बहुत संतुष्ट हूं और जब मैं यह नाम सुनता हूं तो मैं बहुत संपूर्ण महसूस करता हूं.”

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बब्बर सरनेम हटाने पर दिया ये तर्क

अपने पिता राज बब्बर का नाम हटाने के लिए लोगों द्वारा उन्हें जज किए जाने के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा, "लोग कहते रहते हैं कि मैंने अपने पिता का नाम हटा दिया है. मैंने कुछ भी नहीं छोड़ा है. मैंने बस अपनी मां का नाम अपनाया है. इससे मैं कौन हूं, यह नहीं बदलता. इससे मेरे माता-पिता नहीं बदलते. इससे कुछ भी नहीं बदलता. मैंने बस अपनी मां का नाम अपनाया है और मैं इसे लेकर बेहद खुश हूं."

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