हिंदी सिनेमा के गुजरे जमाने के एक्टर भारत भूषण का नाम ऐसा कोई सिनेलवर्स नहीं हैं, जो ना जानता हो. भारत भूषण फिल्म तानसेन, कालिदास, बैजू बावरा, कबीर और मिर्जा गालिब से जाने जाते हैं. भारत भूषण हिंदी सिनेमा के सुपरस्टार थे और अमीरी में उनसे बड़े-बड़े एक्टर्स बहुत पीछे थे. भारत भूषण की जिंदगी जितनी गुलजार थी, उससे ज्यादा बुरा उनका अंत रहा था. भारत भूषण ने आज से 33 साल पहले दुनिया को अलविदा कहा था. भारत भूषण उत्तर प्रदेश के मशहूर जिले मेरठ में पैदा हुए थे, लेकिन उनकी मौत तंगहाली में हुई थी. भारत भूषण के पिता नहीं चाहते थे कि उनका बेटा एक्टर बने. भारत भूषण को उनके घरवाले वकील बनाना चाहते थे.
कभी था भारत का सबसे अमीर एक्टर
अलीगढ़ यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन कर भारत भूषण मुंबई चले गए थे. मुंबई में भारत भूषण ने काम के लिए स्ट्रगल शुरू कर दिया. भारत भूषण के पास उस समय के पॉपुलर डायरेक्टर महबूब खान के लिए एक सिफारिश खत था. उस वक्त महबूब खान फिल्म अलीबाबा चालीस चोर बना रहे थे, लेकिन वो खत दिखाने के बाद भी भारत भूषण को काम नहीं मिला. वहीं, किसी ने बताया कि रामेश्वर शर्मा फिल्म भक्त कबीर डायरेक्ट कर रहे हैं. ऐसे में भारत भूषण को फिल्म में 'भक्त कबीर' में रोल मिला और वो भी 60 रुपये महीने की सैलरी पर. इसके बाद भारत भूषण का हिंदी सिनेमा में सिक्का चल गया और वह हिट हो गये. फिर भारत भूषण ने फिल्म सावन, भाईचारा, बैजू बावरा, जन्माष्टमी, जैसी कई फिल्में कीं. इन फिल्मों के बाद भारत भूषण के पास दौलत ही दौलत आ गई. अब भारत भूषण के पास बंगला, गाड़ी और मोटा बैंक बैलेंस भी था.
भाई की वजह से हुआ बर्बाद?
वहीं, भारत भूषण को उनके भाई रमेश ने प्रोड्यूसर बनने की सलाह दी. भारत भूषण ने बरसात की रात और बसंत बहार फिल्में प्रोड्यूस कीं, जो ब्लॉकबस्टर साबित हुईं. इसके बाद भारत भूषण के भाई ने उन्हें और फिल्में बनाने के लिए उकसाया और अपने बेटे को हीरो बनाने को कहा. भारत भूषण ने भाई की बात को मानी, लेकिन एक भी फिल्म नहीं चली और सारा पैसा डूबने के बाद भारत भूषण सड़क पर आ गए. भारत भूषण को अपनी लाइब्रेरी की किताबें तक बेचनी पड़ गई थी. भारत भूषण आम लोगों की तरह बस से सफर करने लगे थे. वहीं, तंगहाली के दिनों में भारत भूषण ने एक वक्त की रोटी के लिए फिल्म में जूनियर आर्टिस्ट का भी रोल किया था. उनका आखिरी समय चॉल में बिता. भारत भूषण को मौत (10 अक्टूबर 1992) के बाद उनकी अर्थी को कंधा भी नसीब नहीं हुआ था.