सुपरस्टार होने का एक अलग ही चार्म होता है. एक ऐसा कलाकार जिसकी एक झलक के लिए फैन्स इंतजार करते हैं और उनकी हर एक फिल्म रिलीज को किसी त्योहार की तरह मनाते हैं. आजकल यह टैग उन लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जिन्होंने एक-दो हिट फिल्में भी दी हों. हालांकि सुपरस्टार का असली मतलब सिर्फ कुछ सफल फिल्मों को लीड करने से कहीं बढ़कर है. इस टैग का मतलब है पावर, कंट्रोल और दर्शकों के मन पर कलाकारों का राज. सुपरस्टार वह होता है जो अपनी मौजूदगी से एक आम सी बात को खास बना देता है. हम सभी जानते हैं कि राजेश खन्ना को भारतीय सिनेमा का पहला सुपरस्टार माना जाता था, और वे इस टैग के सच्चे हकदार थे. लेकिन काका से कई साल पहले, एक और सेंसेशन थीं जिन्हें भारतीय फिल्म इंडस्ट्री का सुपरस्टार कहा जाता था.
जहांआरा कज्जनबाई: भारत की पहली सुपरस्टार
जहांआरा कज्जन, जिन्हें कज्जनबाई के नाम से जाना जाता है, भारतीय इतिहास के शुरुआती अध्यायों में एक जानी मानी हस्ती हैं. उनका स्टारडम बेजोड़ था और जल्द ही वे भारतीय सिनेमा की सबसे बड़ी खोज बन गईं. 1915 में लखनऊ में सुग्गनबाई के घर जन्मी थीं जहांआरा. बचपन से ही संगीत के माहौल में पली बढ़ीं. जहांआरा कज्जनबाई की मां ने इस बात का ध्यान रखा कि उन्हें शास्त्रीय संगीत की अच्छी ट्रेनिंग मिले और यहां तक कि उनके टैलेंट को निखारने के लिए उन्हें अंग्रेजी और उर्दू सीखने के लिए पटना भी भेजा.
फिल्मों में आने से पहले ही खूब कमाती थीं कज्जनबाई
अपनी शुरुआत से कई साल पहले ही जहांआरा कज्जनबाई दर्शकों का ध्यान अपनी तरफ खींचने लगी थीं. एक शो से वह 250-300 रुपये की अच्छी-खासी कमाई कर लेती थीं. लोग उनकी आवाज सुनने के लिए उमड़ पड़ते थे. उनकी मधुर आवाज सिनेमाघरों तक दर्शकों तक लाने के लिए काफी थी. जल्द ही उन्हें ना केवल एक सिंगर के रूप में, बल्कि एक एक्ट्रेस के तौर पर भी पहचान मिलने लगी.
जहांआरा कज्जनबाई की सक्सेसफुल फिल्म: शिरीन फरहाद
भारत की दूसरी बोलती फिल्म, शिरीन फरहाद, जहांआरा के करियर में एक मील का पत्थर साबित हुई. इस फिल्म में उनके गाए गए 42 गाने हैं, और इसे भारतीय सिनेमा में एक ऐतिहासिक क्रांति माना गया. शिरीन फरहाद की अपार सफलता ने जहांआरा को घर-घर में जाना-पहचाना नाम बना दिया. 16 साल की उम्र तक, जहांआरा ने 'सुपरस्टार' का दर्जा हासिल कर लिया था और सचमुच जनता पर राज करती थीं. खबरों के मुताबिक, लाहौर के उनके एक फैन ने उनकी फिल्म 22 बार देखी थी. खबरों के अनुसार उनकी फिल्म के टिकट खरीदने के लिए उसने अपना घोड़ा भी गिरवी रख दिया था. 15 साल तक दर्शकों पर राज करने के बाद, 20 दिसंबर, 1945 को कज्जन का निधन हो गया. वह 30 साल की थीं.