मनोज बाजपेयी हिंदी सिनेमा का एक ऐसा नाम हैं, जिन्होंने न सिर्फ अपने दम पर अपनी अलग पहचान बनाई है, बल्कि ढेरों यंग एक्टर्स के लिए वह एक इंस्पीरेशन भी हैं. लेकिन मनोज वाजपेयी को ये सब कुछ इतनी आसानी से नहीं मिला बल्कि उन्होंने इसके लिए बेहद कड़ी मेहनत की है और खूब धक्के भी खाएं हैं. मनोज बाजपेयी मानते हैं कि इन धक्कों और स्ट्रगल के बाद जो सफलता मिली है, उसके लिए जिन्होंने उनकी मदद की वो उन्हें कभी भूल नहीं सकते. हाल में सोशल मीडिया पर सामने आए नीलेश मिश्रा के साथ एक इंटरव्यू के दौरान मनोज इन बातों को कहते सुनाई देते है.
इस इंटरव्यू के दौरान मनोज बाजपेयी कहते हैं कि जिन लोगों ने मेरी तब मदद की मैं उन्हें भूल नहीं सकता. उन्होंने कहा कि ‘मैं नहीं भूल सकता कि तिग्मांशु धूलिया मुझे शेखर कपूर के पास ले गए थे. मुझे अगर राम गोपाल वर्मा ने नहीं लिया होता, तो मैं यहां नहीं होता. मैं इन लोगों को नहीं भूल सकता, अगर मैं ऐसा करता हूं तो मुझसे जलील इंसान कोई नहीं होगा'. आगे मनोज कहते हैं, ‘मेरा एक दोस्त हैं अशोक पूरन, जिसने मेरी स्ट्रगल के दिनों में मदद की थी, 600 रुपए देकर, मैं उन लोगों का शुक्रगुजार रहूंगा'.
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बता दें कि साल 1994 में रिलीज हुई फिल्म 'द्रोह काल' से मनोज बाजपेयी ने फिल्मों में डेब्यू किया. इसके बाद वह शेखर गुप्ता की फिल्म बैंडिट क्वीन में नजर आए. फिल्म 'सत्या', ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर', ‘अलीगढ़', ‘कौन' और ‘शूल', जैसी कई फिल्मों में अपनी दमदार एक्टिंग से वह बॉलीवुड में अपनी मजबूत पहचान बनाने में कामयाब रहे. 'सत्या', 'पिंजर' और 'भोंसले' के लिए उन्हें नेशनल फिल्म अवार्ड भी मिला.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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