ALT EFF के तीसरे संस्करण की जूरी में शामिल हुए न्यूटन और शेरनी के निर्देशक अमित मसुरकर 

2020 में एक वर्चुअल फेस्टिवल के रूप में शुरू हुआ ALT EFF- ऑल लिविंग थिंग्स एनवायरनमेंटल फिल्म फेस्टिवल इस साल दुनिया भर से फिल्मों की एक रोमांचक नई सीरीज के साथ वापस आ रहा है.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
अमित मसुरकर फोटो
नई दिल्ली:

2020 में एक वर्चुअल फेस्टिवल के रूप में शुरू हुआ ALT EFF- ऑल लिविंग थिंग्स एनवायरनमेंटल फिल्म फेस्टिवल इस साल दुनिया भर से फिल्मों की एक रोमांचक नई सीरीज के साथ वापस आ रहा है. प्रकृति, संरक्षण और बड़े पैमाने पर पर्यावरण पर बातचीत को बढ़ावा देने और जागरूकता फैलाने के लिए एक मज़बूत इरादे से शुरू किया गया यह फेस्टिवल कुणाल खन्ना के दिमाग की उपज है. इस साल फेस्टिवल में 55 फिल्में होंगी, जिसमें 33 एक्सक्लूसिव इंडिया प्रीमियर होंगे.

सबसे रोमांचक घटनाओं में से एक यह है कि शेरनी के निर्देशक अमित मसुरकर इस वर्ष जूरी के सदस्य के रूप में शामिल हुए हैं. अमित की फिल्म वन्यजीव संरक्षण और मानव वन्यजीव संघर्ष के विषय से संबंधित है जो फेस्टिवल के उद्देश्य के साथ तालमेल बिठाती है. इतना ही नहीं, इस साल फेस्टिवल में भारत के कई शहरों में प्रमुख फिल्मों की पहली ऑफलाइन स्क्रीनिंग भी होगी और यह फेस्टिवल अपने वर्चुअल पारी के लिए पूरी तरह से मुफ्त में दिखाई जायेगी. यह फेस्टिवल 17 नवंबर से शुरू होकर 27 नवंबर तक चलेगा.

अमित के मसुरकर ने कहा, "जलवायु परिवर्तन वास्तविक है और आज हम वर्षों के पर्यावरणीय क्षरण के गंभीर परिणामों का सामना कर रहे हैं. ALT EFF संरक्षण और पशु अधिकारों के पक्ष में जागरूकता पैदा करने और जनमत तैयार करने में मदद कर रहा है. मैं इस साल की जूरी का हिस्सा बनकर सम्मानित महसूस कर रहा हूं और मैं दुनिया भर से अविश्वसनीय फिल्में देखने के लिए उत्सुक हूं, जो हमारी सोच और व्यवहार में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए तैयार की गई हैं".

कुणाल खन्ना ने कहा, "2022 ALT EFF के लिए एक बड़ा साल है क्योंकि हम अंतत: आपके शहरों में इन-पर्सन स्क्रीनिंग के लिए फिल्में का रहे हैं और साथ ही देश भर के दर्शकों के लिए पूरी तरह से मुफ्त वर्चुअल कार्यक्रम पेश कर रहे हैं. यह कदम हमें करीब लाता है पर्यावरण सिनेमा को सभी के लिए सुलभ बनाने और पर्यावरणीय कार्रवाई के लिए उत्प्रेरक बनने के हमारे मिशन के लिए".

Featured Video Of The Day
Iran Hijab Protest: 1979 की इस्लामिक क्रांति से कैसे महिलाओं के अधिकार खत्म या कम होते गए?