इस्रायल का वो जासूस जिसे सीरिया में चौराहे पर सरेआम मिली थी खौफनाक मौत- सांसें रोक देगी The Spy वेब सीरीज

इस्रायल की खुफिया एजेंसी मोसाद दुनिया भर में खास पहचान रखती हैं. इसका एक ऐसा भी जासूस था जिसने सीरिया में तहलका मचा दिया था और इस पर बनी वेब सीरीज को ओटीटी पर खूब पसंद भी किया गया है.

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The Spy Netflix Web Series: रोंगटे खड़े कर देगी इस्रायल के इस जासूस की कहानी
नई दिल्ली:

The Spy Netflix Web Series: इस्रायल की खुफिया एजेंसी मोसाद का एक जासूस अर्जेंटीना से होते हुए सीरिया पहुंचता है और इतना ताकतवर बन जाता है कि देश का नेता उसे उप रक्षा मंत्री बनाने ही वाला होता है. लेकिन तभी कुछ ऐसा होता है कि पूरा गेम बदल जाता है. ये कहानी है नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज द स्पाई की. छह एपिसोड की इस वेब सीरीज में इस्रायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के जासूस इली कोहने की सच्ची कहानी को दिखाया गया है. ये सीरीज ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर खूब पसंद की गई है. आखिर ये इली कोहेन कौन था?

इली कोहेन का जन्म 1924 में मिस्र के अलेक्जेंड्रिया शहर में हुआ था. उनके माता-पिता सीरियाई यहूदी थे, और इली कोहेन को कई भाषाओं की जानकारी वजह से उन्हें इस्रायल की खुफिया एजेंसी के लिए आदर्श उम्मीदवार बना दिया. 1955 में इली ने इस्रायल में एक ट्रेनिंग ली और 1957 में मिस्र से इजरायल चले आए. 1960 में इली को मोसाद में जगह मिल गई. 1961 में, मोसाद ने इली कोहेन को अर्जेंटीना भेजा, जहां उन्होंने "कमाल अमिन थाबेत" के नाम से एक सीरियाई व्यापारी के रूप में पहचान बनाई. उनको सीरिया में रहकर वहां से खुफिया जानकारी इस्रायल को भेजनी थी. ये एक बेहद खतरनाक मिशन था, लेकिन इली इसके लिए एकदम तैयार थे.

अर्जेंटीना में इली ने सीरिया के उच्च सैन्य अधिकारियों का विश्वास जीत लिया. 1962 में, वह सीरिया के दमिश्क में बस गए और वहां उन्होंने उच्च राजनीतिक और सैन्य स्तरों तक पहुंच बनाई. बताया जाता है कि सीरिया के ग़लान हाइट्स में सैन्य ठिकानों की जानकारी, सीरियाई सेना की योजनाओं, और सरकार की गोपनीय जानकारी इली ने इजरायल तक पहुंचाई थी. 

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1963 में सीरिया में हुई बाथिस्ट क्रांति के बाद, इली का कद और बढ़ गया. यहां तक कि क्रांतिकारी नेता अमीन अल-हाफ़ेज़ ने उन्हें उप रक्षा मंत्री नियुक्त करने पर विचार किया. हालांकि, इली कोहेने की जासूसी का अंत 1965 में उस समय हुआ जब सीरियाई खुफिया एजेंसियों ने उनके रेडियो ट्रांसमिशन को पकड़ लिया.

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इली को मोसाद ने कई बार उनके लापरवाह रवैये के लिए चेताया भी था. आखिरकार इली गिरफ्तार हुए और बाद में सैन्य न्यायालय में मुकदमा चला. 18 मई, 1965 को इली को सीरिया में चौराहे पर सरेआम फांसी दे दी गई. इली के अपनी पत्नी को लिखे आखिरी शब्द थे- मेरी प्यारी नादिया, मैं तुमसे विनती कर रहा हूं कि जो कुछ गुजर चुका है उसके बारे में रोने में अपना समय बर्बाद न करें. खुद पर ध्यान दें, और शानदार भविष्य की ओर कदम बढ़ाएं...

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