नीना गुप्ता को 30 साल बाद मिला नेशनल अवॉर्ड, एक्ट्रेस बोली - जब कॉल आया तो यकीन ही नहीं हुआ

बॉलीवुड एक्ट्रेस नीना गुप्ता को फिल्म ऊंचाई में अपनी परफॉर्मेंस के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का अवॉर्ड मिला. क्या आप जानते हैं एक्ट्रेस ने ये अवॉर्ड किसे डेडिकेट किया?

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नेशनल अवॉर्ड जीतने पर क्या बोलीं नीना गुप्ता?
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नई दिल्ली:

फिल्म 'ऊंचाई' में अपने रोल के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का नेशनल अवॉर्ड जीतने के बाद नीना गुप्ता सातवें आसमान पर हैं. उन्हें 30 साल बाद यह सम्मान मिल रहा है और उन्हें लगता है कि यह फिल्म इंडस्ट्री में उनकी कड़ी मेहनत का सही सम्मान है. शुक्रवार (16 अगस्त) को 70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की घोषणा की गई. हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में नीना ने माना कि यह खबर अभी तक लोगों के दिलों में नहीं उतरी है. पुरस्कार मिलने की खबर मिलने के बाद अपनी पहले रिएक्शन को याद करते हुए नीना ने बताया, "ठीक है मुझे यह खबर आधे घंटे पहले ही मिली और मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई. फिर मैंने एक ब्रेक लिया और अपने मैनेजर से इसे दोबारा जांचने के लिए कहा, बस कन्फर्म करने के लिए (हंसते हुए). उसके बाद मैं इस खबर से वाकई बहुत खुश और भावुक हो गई. मैं इसे लेकर बहुत एक्साइटेड हूं. सभी दूसरे विनर्स के बीच अपना नाम पढ़ना वाकई बहुत अच्छा लगा." 

फिल्म में नीना को उनके हाव-भाव, डायलॉग डिलिवरी और स्क्रीन प्रेजेंस के लिए सराहा गया. इस खबर के बाद भी नीना ने माना कि यह उनकी कड़ी मेहनत का सम्मान है. नीना ने कहा, "यह सम्मान दिखाता है कि मेरी कड़ी मेहनत को पहचाना गया. मुझे ऐसा लगता है कि आपको काम करके जाना चाहिए और कभी न कभी फल मिलता है. आज नहीं तो कल (मुझे दृढ़ता से लगता है कि किसी को कड़ी मेहनत पर ध्यान देना चाहिए और यह निश्चित रूप से किसी दिन पहचानी जाएगी और यह मेरे साथ अवॉर्ड के मामले में हुआ है." 

नीना ने कहा, “आखिरी बार मुझे 1990 के दशक में मेरी डॉक्यूमेंट्री के लिए दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिले थे. अब मुझे करीब 30 साल के बाद फिर से अवॉर्ड मिला है जो मेरे लिए बहुत बड़ी बात है”. नीना ने बाजार सीताराम (1993) के लिए बेस्ट पहली गैर-फीचर फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता और वो छोकरी (1994) के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता. जब उनसे पूछा गया कि क्या वह इसे किसे डेडिकेट करना चाहेंगी तो उन्होंने कहा, "मैं इसे खुद को डेडिकेट करना चाहूंगी. क्योंकि मैंने पूरी मेहनत की है.यह मेरी मेहनत का नतीजा है. यह मेरे सफर को दिखाता है और मैं कितनी दूर तक पहुंची हूं. कभी न कभी तो नतीजा आता है और यह पुरस्कार इसका प्रमाण है."
 

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