NDTV Yuva 2025: क्रिएटिविटी के लिए कोई खतरा नहीं AI, भावनाओं तक पहुंचने के लिए टेक्नोलॉजी को करना होगा इंतजार

NDTV Yuva 2025: क्रिएटिविटी में एआई का इस्तेमाल और इसके खतरे को लेकर बड़ा ही मजेदार तरीके से बात की. उनका जवाब फ्यूचर को लेकर कई इशारे करता है.

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क्रिएटिविटी और एआई के इस्तेमाल पर क्या बोले जावेद अख्तर?
नई दिल्ली:

NDTV Yuva 2025 Conclave के "द वॉयस ऑफ द जेनरेशन" सेशन में सिंगर अरमान मलिक और गीतकार और लेखक जावेद अख्तर ने एनडीटीवी के सीईओ राहुल कंवल के साथ एक मजेदार बातचीत में एआई पर बात की. इसमें इस बात पर चर्चा हुई कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संगीत के रचनात्मक परिदृश्य को कैसे नया रूप दे रहा है और क्या यह ह्यूमन आर्ट के लिए एक चुनौती है.

इस सवाल का जवाब देते हुए, जावेद अख्तर ने कहा, "मुझे कहना होगा कि अगर एआई और नैचुलर स्टुपिडिटी के बीच कोई ऑप्शन हो तो मैं एआई को चुनूंगा. लेकिन यह कहने के बाद, एआई अभी भी रेंग रहा है, अपनी शुरुआती अवस्था में है. हम कल्पना नहीं कर सकते कि पांच या दस साल बाद क्या होगा, लेकिन फिलहाल, एआई क्रिएटिविटी के लिए कोई खतरा नहीं है. यह आपके लिए चिट्ठी लिख सकता है, शायद अगर आपकी कोई शिकायत हो तो नगर निगम को भी, या कोई ऑफीशियल नोट तैयार करने में आपकी मदद कर सकता है. लेकिन जहां तक क्रिएटिविटी का सवाल है, वह एक अलग मामला है. मैं कभी नहीं कहूंगा, हो सकता है एक दिन ऐसा हो जाए. शुक्र है, मैं उस दौर से बच गया."

उन्होंने आगे बताया कि एआई अभी तक आर्ट और कला के मामले में मानव मन की बराबरी क्यों नहीं कर पाया है. "एआई के साथ समस्या यह है कि उसका बचपन दर्दनाक नहीं रहा है. एआई की मां उसके बचपन में नहीं मरी थी. एआई की प्रेमिका ने उसे किसी और लड़के के लिए नहीं छोड़ा था. एआई का कोई अवचेतन मन नहीं है, कोई गहरी दुखती यादें या अधूरा प्यार नहीं है. क्रिएटिविटी सिर्फ तर्क पर नहीं चलती, यह दर्द, दिल टूटने और ऐसे अनुभवों से भी आती है जो किसी मशीन के पास नहीं होते."

अरमान मलिक ने भी इसी भावना को दोहराया और एआई को एक टूल तो माना, लेकिन संगीतकारों का विकल्प नहीं. उन्होंने कहा, "एआई हम संगीतकारों की मदद करने का एक टूल है. आप इसे 'मुझे एक उदास गाना चाहिए' जैसा इनपुट दे सकते हैं और यह कुछ न कुछ जरूर तैयार कर देगा. लेकिन इमोशन केवल एक इंसान ही सामने ला सकता है."

गायक ने एआई युग में कलाकारों की आवाज के इस्तेमाल को लेकर कानूनी सुरक्षा उपायों की भी मांग की. उन्होंने आगे कहा, "आज, आवाजों के कॉपीराइट के लिए कोई कानून नहीं है, चाहे वह किशोर दा हों या उस वक्त के दूसरे. अलग-अलग लोगों की आवाजों में एआई-जनरेटेड कवर रील्स और सोशल मीडिया कंटेंट में आसानी से अवेलेबल हैं. मुझे लगता है कि कानून की एक मजबूत लेयर लागू करने की जरूरत है."

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