पृथ्वी ही हमें जिंदा रखती है और हमारे अस्तित्व की गुणवत्ता इस बात से निर्धारित होती है कि हम अपने ग्रह की कितनी बढ़िया देखभाल करते हैं. किसी व्यक्ति को केवल एक छोटा-सा बदलाव लाने की जरूरत होती है, जिसका इस ग्रह पर बड़ा प्रभाव पैदा हो सकता है. जागरूकता और प्रेरणा के लिए नेशनल जियोग्राफ़िक ने कहानी कहने की अपनी शक्तिशाली और भरोसेमंद समृद्ध विरासत के साथ पृथ्वी दिवस पर 'वन फॉर चेंज' शीर्षक से शॉर्ट फिल्मों की एक सीरीज पेश करने जा रहा है. इसमें चेंजमेकर्स की खास कहानियों पर प्रकाश डाला जाएगा, जिन्होंने हमारी दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के लिए असाधारण कदम उठाए हैं.
नेशनल जियोग्राफ़िक के साथ-साथ डिज़्नी स्टार के एंटरटेनमेंट चैनल भी करोड़ों फैंस को बदलाव के रास्ते पर चलने के लिए प्रोत्साहित करेगा. नेशनल जियोग्राफ़िक के टेलीविजन प्लेटफॉर्म और डिज़्नी स्टार के तमाम एंटरटेनमेंट चैनलों पर प्रीमियर होने वाली इन फिल्मों को नेशनल जियोग्राफ़िक के सोशल मीडिया हैंडल्स पर भी रिलीज किया जाएगा, जिनकी भारत में कुल मिलाकर 10 मिलियन से ज्यादा फॉलोइंग है. ये कहानियों में जोशीले इंसानों की यात्रा दिखाई जाएगी. दिखाया जाएगा कि इस ग्रह को बचाने के मार्ग पर चलने के लिए उन्हें किस चीज ने प्रेरित किया.
इन 10 चेंजमेकर की कहानियां से दर्शक होंगे रूबरू
• वाणी मूर्ति- वर्म क्वीन के नाम से मशहूर वाणी कम्पोस्ट खाद बनाने की अहमियत के बारे में जागरूकता फैला रही हैं.
• पूर्णिमा बर्मन देवी- हारगिला आर्मी की यह लीडर लुप्तप्राय ‘ग्रेटर एडजुटेंट स्टॉर्क' के संरक्षण की दिशा में काम कर रही हैं.
• तेजस सिडनल- एक ऐसी वास्तुकार, जिन्होंने कार्बन कचरे से बनी एक अनूठी टाइल का आविष्कार किया है.
• वेंकटेश चार्लू- एक पथ-प्रदर्शक मरीन कंजर्वेशनिस्ट, जो गोवा में कोरल रेस्टोरेशन का काम कर रही हैं.
• विद्युत मोहन - 2020 के ‘यूएनईपी यंग चॅम्पियन ऑफ द अर्थ' ने एक ऐसी मशीन बनाई है, जो खेत के बेकार अवशेषों को किसानों के लिए मूल्यवान उत्पादों में तब्दील कर देती है.
• वर्षा रायकर- रेडियो बुंदेलखंड की आरजे, जो क्लाइमेट चेंज के बारे में जागरूकता फैला रही हैं.
• रुक्मणी कटारा- ग्रामीण भारत में अक्षय ऊर्जा क्रांति की मशाल जलाने वाली एक सोलर कंपनी की सीईओ है.
• पूनम और आदित्य सिंह- एक युगल, जो रणथंभौर टाइगर रिजर्व के बाहरी इलाके की बंजर भूमि को मनुष्य और जानवर के बीच का बफर ज़ोन बनाने में जुटा है.
• तुलसी गौड़ा- पद्मश्री विजेता तुलसी बीते 50 वर्षों से अपने गांव में वनों का संरक्षण कर रही हैं और उन्हें वनों का जीता-जागता एनसाइक्लोपीडिया कहा जाता है.
• सोनम वांगचुक- एक ऐसी इको-आर्किटेक्ट, जिन्होंने प्रकृति के तत्वों का उपयोग करके लद्दाख में कार्बन न्यूट्रल इमारतों के निर्माण का बीड़ा उठाया है.