गुंजा और चंदन की प्रेम कहानी को हुए 40 साल, 'नदिया के पार' के एक्टर बोले- सादगी भरे प्यार की कहानी

सचिन पिलगांवकर और साधना सिंह की मासूमियत भरी प्रेम कहानी 'नदिया के पार' को 40 साल हो गुए हैं, और फिल्म एक बार फिर टीवी पर नजर आएगी.

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'नदिया के पार' को हुए 40 साल
नई दिल्ली:

'कौन दिसा में लेके चला रे बटोहिया' जहां हम 2022 की दहलीज पर आकर 80 के दशक की यह मधुर धुन गुनगुना रहे हैं, वहीं जी बॉलीवुड फिल्म 'नदिया के पार' के विशेष प्रसारण के साथ इस फिल्म के 40 गौरवशाली वर्षों का उत्सव मनाने की तैयारी कर रहा है. बड़जात्या बैनर ने बड़े पर्दे पर अलग-अलग दौर को परिभाषित करने वालीं कुछ यादगार फिल्में पेश की हैं. ताराचंद बड़जात्या के निर्माण और गोविंद मूनिस के निर्देशन में बनी फिल्म 'नदिया के पार' ऐसी ही एक फिल्म है. इस फिल्म ने सारे रिकॉर्ड्स धराशायी कर दिए थे और जल्द ही यह फिल्म पूरे देश में चर्चित हो गई थी. जी बॉलीवुड पर 1 जनवरी को दोपहर डेढ़ बजे 'नदिया के पार' दिखाई जाएगी. 

सचिन पिलगांवकर, साधना सिंह, शीला डेविड, लीला मिश्रा, इंदर ठाकुर जैसे इंडस्ट्री के टैलेंटेड चेहरों के साथ-साथ रविंद्र जैन के दिलकश संगीत ने बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचा दिया था. यह कहानी रोमांस और पारिवारिक मनोरंजन का ताजा झोंका लेकर आई थी. इस फिल्म में ग्रामीण भारत की बेदाग छवि दिखाई गई थी और आज भी नदिया के पार हर दौर की सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली फिल्मों में शामिल है.

उन सदाबहार दिनों की यादें ताजा करते हुए सचिन पिलगांवकर ने कहा, 'यह जानकर बहुत अच्छा लग रहा है कि 'नदिया के पार' अपनी 40वीं वर्षगांठ मनाने जा रही है. ग्रामीण परिवारों के दिल छू लेने चित्रण, दो लोगों के सादगी भरे प्यार और सारे देश को अपनी धुन से सराबोर कर देने वाले संगीत के साथ यह फिल्म मेरे करियर में मील का पत्थर बन गई. यह फिल्म 80 के दशक के शुरुआती वर्षों की मासूमियत और सादगी को बखूबी दर्शाती है. मेरे लिए ‘नदिया के पार' को याद करना, टाइम मशीन में बैठकर तुरंत उन खुशगवार दिनों में लौटने जैसा है.'

इस मौके पर सूरज बड़जात्या ने कहा, 'कुछ फिल्में किसी दौर को इस तरह से दिखाती हैं कि दशकों बाद भी जब आप इसे दोबारा देखते हैं तो आप तुरंत उस समय में लौट जाते हैं. नदिया के पार मेरे लिए ऐसी ही फिल्म है. यह दो प्यार करने वाले लोगों और उनके परिवारों की एक सादगी भरी, लेकिन दिल छू लेने वाली कहानी है, जिसमें ड्रामा में हर संभव भावनाएं पिरोई गईं और जब भी आप इसे देखते हैं, आपकी वो सुनहरी यादें ताजा हो जाती हैं. यह फिल्म मेरे लिए एक पारिवारिक विरासत की तरह है और नदिया के पार के 40 वर्षों को सेलिब्रेट करना मेरे लिए एक खास उत्सव है.'

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