'मुगल-ए-आजम (Mughal-E-Azam)' हिन्दी सिनेमा के इतिहास में वह फिल्म है जो अपनी दर्जनों खूबियों के कारण हमेशा याद की जाती है. इस फिल्म को बनाने वाले महान फिल्मकार दिवंगत के. आसिफ (K. Asif) साहब की आज (14 जून) जयंती है. यकीन करना मुश्किल है, लेकिन ये बात सौ फीसदी सच है कि आसिफ महज आठवीं कक्षा तक पढ़े-लिखे थे और बेहद गरीब पृष्ठभूमि से आते थे. इन्हीं करीमुद्दीन आसिफ ने भारतीय सिनेमा की सबसे महंगी, भव्य और क्लासिक फिल्म का निर्माण किया. 'मुगल-ए-आजम (Mughal-E-Azam)' के प्रीमियर का Video कुछ समय पहले वायरल हुआ है. इस वीडियो को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि फिल्म के लिए लोगों में दीवानगी का आलम कैसा था. न केवल हिन्दुस्तान बल्कि दुनिया के कई मुल्कों से नामचीन फिल्मकार 'मुगल-ए-आजम (Mughal-E-Azam)' का सेट देखने के लिए भारत आए थे.
के. आसिफ (K. Asif) मुगलिया दौर की आन, बान और शान पर्दे पर उकेरने के लिए किसी भी तरह के समझौते को तैयार नहीं थे. लिहाजा सेट पर हर एक चीज पूरे संजीदगी से ठीक उसी तरह से बनाई गई थी जैसे मुगलिया दौर में हुआ करती थी. दूसरे लफ्ज़ों में कहें तो, के. आसिफ कोई सेट नहीं बल्कि पूरा मुगलिया दरबार आंखों के सामने ले आए थे. इटली, इंग्लैंड, सऊदी अरब, अफगानिस्तान, नेपाल और चीन जैसे देशों से फिल्म और कला जगत से जुड़े लोग 'मुगल-ए-आजम' का सेट देखने आए और देखते ही रह गए. 'मुगल-ए-आजम' के सेट को देखने के लिए मुंबई की जहांगीर आर्ट गैलरी में लोगों की लंबी कतारें लग गईं थी. ये फिल्म करीब डेढ़ करोड़ की लागत से तैयार हुई थी.
फिल्म के रिलीज होने पर लोगों की दीवानगी का आलम ये था कि टिकटों के लिए सिनेमाघरों में अपार भीड़ उमड़ पड़ी. टिकट चाहने वालों की मीलों लंबी कतारें देखी जा रही थीं. फिल्म का जादू लोगों के सिर पर इस कदर चढ़ा था कि कुछ लोग तो टिकट की कतार में बिस्तर बिछाकर ही डट गए थे. 'मुगल-ए-आजम (Mughal-E-Azam)' के प्रीमियर में तो सिने जगत की एक से बढ़कर एक हस्तियां शामिल हुई थी. पृथ्वीराज कपूर, दिलीप साहब, मधुबाला जैसे दिग्गज कलाकारों का बेहतरीन अभिनय, शानदार सेट्स और बेहतरीन संगीत का जादू ऐसा था कि दर्शक एक पल के लिए भी नज़र स्क्रीन से न हटा सके. यही वजह है कि ब्लैक एंड व्हाइट के जमाने में बनी ये फिल्म समय और तकनीक के साथ रंगीन हो गई और आज भी इस फिल्म का जादू लोगों के जेहन से उतर नहीं सका है.