Chutzpah: मृगदीप सिंह लांबा ने 'चुट्जपाह' बनाने पर अपने विचार किए शेयर, कही यह बात...

Chutzpah: लोकप्रिय युवा फ्रेंचाइजी 'फुकरे' और 'फुकरे रिटर्न्स' की सफलता के बाद, निर्देशक मृगदीप सिंह लांबा 23 जुलाई से सोनी लिव स्ट्रीमिंग पर अपनी अगली पेशकश 'चुट्जपाह' पेश करने के लिए तैयार हैं.

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मृगदीप सिंह लांबा
नई दिल्ली:

Chutzpah: लोकप्रिय युवा फ्रेंचाइजी 'फुकरे' और 'फुकरे रिटर्न्स' की सफलता के बाद, निर्देशक मृगदीप सिंह लांबा 23 जुलाई से सोनी लिव स्ट्रीमिंग पर अपनी अगली पेशकश 'चुट्जपाह' पेश करने के लिए तैयार हैं. दिनेश विजन द्वारा निर्मित, मृगदीप द्वारा रचित, अमित बब्बर और मृगदीप द्वारा लिखित, 'चुट्जपाह' का निर्देशन सिमरप्रीत सिंह ने किया है और इसमें वरुण शर्मा, मनजोत सिंह, गौतम मेहरा, तान्या मानिकतला, एलनाज नोरौजी और क्षितिज चौहान इत्यादि जेन-एक्स के लोकप्रिय कलाकार हैं.

अपने टाइटल पर खरा उतरते हुए, नए जमाने के वेब शो का ट्रेलर हर किसी के जीवन में इंटरनेट और सोशल मीडिया की प्रासंगिकता को दर्शाता है, जिसने दर्शकों का ध्यान खींच लिया है. युवाओं के लिए एक और दिलचस्प विषय बनाने के बारे में बात करते हुए, मृगदीप ने बताया, “जहां एक तरफ फुकरे स्लाइस-ऑफ-लाइफ के बारे में एक यूथ-ओरियंटेड फिल्म थी, वही यह स्लाइस-ऑफ- साइबर लाइफ के बारे में है. फुकरे जहां चार अलग-अलग पात्रों और उनकी यात्रा के इर्द-गिर्द घूमती है, वहीं 'चुट्जपाह' पांच से छह अलग-अलग पात्रों के बारे में है और कैसे उनके रास्ते एक दूसरे से मिलते हैं. हम सभी जानते हैं कि कैसे  वर्ल्ड वाइड वेब ने हमारे जीवन पर कब्जा कर लिया है. तो इस तरह, 'चुट्जपाह' एक ऐसी कहानी है जिसे बताने की आवश्यकता है. महामारी और लॉकडाउन के दौरान, लोगों द्वारा क्वारन्टीन होने और घरों में अकेले रहने पर कहानियां बनाई गईं है, लेकिन हमारी कहानी अलग है और हर किसी के जीवन में इंटरनेट को शामिल करने की बात करती है." 

मृगदीप आगे कहते हैं, "शो के लेखक अमित (बब्बर) को इंटरनेट के बारे में एक दिलचस्प विचार था और उन दिनों मैं केवल स्क्रिप्ट पढ़ रहा था लेकिन यह एक चीज थी जिसने मेरा ध्यान खींचा. यह इस बारे में है कि लोग इंटरनेट पर कैसे जुड़ते और डिस्कनेक्ट होते हैं. हम उपदेशात्मक नहीं बनना चाहते हैं लेकिन एक महत्वपूर्ण संदेश है जिसके साथ शो समाप्त होता है. जाहिर तौर पर मस्ती, मनोरंजन और ड्रामा है लेकिन यह आपको सोचने पर भी मजबूर करता है. इसकी एक बहुत गहरी फिलोसॉफी है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. फुकरे ने दिल जीता क्योंकि पात्र और परिस्थितियां वास्तविक थीं. और 'चुट्जपाह के साथ भी ऐसा ही है. 

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