वो फिल्में जिन्हें नहीं होने दिया गया रिलीज, अलग-अलग वजह बताकर कर दिया गया बैन

देश में आज सिनेमा एक खास जगह रहता है लेकिन इसका सफर भी कभी इतना आसान नहीं रहा. फिल्म इंडस्ट्री ने ऐसा समय भी देखा है जब अलग-अलग वजहों से किसी फिल्म को रिलीज होने से रोक दिया गया.

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नई दिल्ली:

हर तरफ 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस का उल्लास है. देशभक्ति गीत गूंज रहे हैं. आजादी के 78 सालों के लंबे सफर में तमाम कड़ियों से गुजरते हुए भारत ने वैश्विक स्तर पर अमिट मौजूदगी दर्ज कराई है. आजाद भारत की पहली किरण से लेकर आज तक भारत ने तमाम क्षेत्रों में अमिट कीर्तिमान गढ़ते हुए नए-नए मानक स्थापित किए हैं. आजादी के बाद विकास यात्रा में बढ़ते हुए देश में ऐसा अवसर भी आया जब राजनीतिक कारणों की वजह से सरकार ने फिल्मों पर प्रतिबंध लगाया. मृणाल सेन की 1959 की क्लासिक फिल्म 'नील आकाशेर नीचे' आजाद भारत में प्रतिबंधित होने वाली पहली फिल्म थी.

ब्रिटिश शासन के तहत 1930 के दशक के भारत की पृष्ठभूमि पर बनी इस ब्लैक एंड व्हाइट बंगाली फिल्म को रिलीज नहीं होने दिया गया. इस फिल्म को इसलिए बैन किया गया था क्योंकि इसमें सभी को एक नीले आकाश के नीचे साथ रहते दिखाया गया था. इसमें एक ऐसे भारत की कहानी दिखाई गई थी जहां अमीर और सामाजिक रूप से समृद्ध वर्ग एक ही छत के नीचे रहने के बावजूद वंचितों के प्रति सहानुभूति नहीं रखते हैं.

एक नहीं कई फिल्मों पर लगे बैन

'नील आकाशेर नीचे' फिल्म में भारतीयों की सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि का मार्मिक वर्णन किया गया था. जिसे राजनीतिक निहितार्थों के कारण प्रतिबंधित कर दिया गया था. मृणाल सेन की इस क्लासिक फिल्म की मार्मिक कहानी हिंदी कवयित्री महादेवी वर्मा की लघु कहानी 'चीनी फेरीवाला' पर आधारित थी. इस फिल्म में कलकत्ता (अब कोलकाता) की सड़कों पर अपना माल चीनी रेशम बेचने वाले वांग लू नामक एक गरीब चीनी फेरीवाले की कहानी दिखाई गई थी.

1930 का दौर भारत के साथ-साथ चीन के लिए भी काफी कठिन दौर था. ये सभी बातें फिल्म में दिखाई गई थीं. रिलीज के बाद इस फिल्म को काफी सराहा गया था लेकिन यह उस वक्त के प्रधानमंत्री नेहरू के लिए बहुत असहज था. ऐसे में इस फिल्म को बैन कर दिया गया था. 1963 में 'गोकुल शंकर' फिल्म को महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोड्से की मनोवैज्ञानिक प्रेरणाओं को दर्शाने के कारण बैन कर दिया गया था.

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1975 में 'आंधी' फिल्म को आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी सरकार ने बैन कर दिया था. बाद में जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद 1977 में इसे रिलीज किया गया. 1977 में फिल्म 'किस्सा कुर्सी का' राजनीतिक मजाक माना गया. इस फिल्म को कांग्रेस सरकार ने आपातकाल का मजाक उड़ाने के लिए बैन कर दिया था. वहीं 1971 में 'सिक्किम' फिल्म पर रोक लगा दी गई क्योंकि इसमें चोग्याल शासित सिक्किम को एक संप्रभु राज्य के रूप में दिखाया गया था. सितंबर 2010 में बैन हटा लिया गया.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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