अब्राहम लिंकन ने एक बार कहा था, जिस भी इंसान के पास मां है, वो गरीब हो ही नहीं सकता. मां वह खूबसूरत लफ्ज है जो किसी भी इंसान की जिंदगी बदल देता है. इसी मां के सम्मान या मातृत्व के जश्न के लिए कोई एक दिन नहीं हो सकता. लेकिन हर साल मई के दूसरे संडे को मदर्स डे मनाया जाता है. इस दिन अपनी भाग-दौड़ भरी जिंदगी में व्यस्त लोग अपनी मां को याद करते हैं और इस दिन को खास बनाने के कई उपाय करते हैं. कुछ लोग मदर्स डे पर मां को गिफ्ट देते हैं और कुछ सोशल मीडिया पर उनके लिए पोस्ट शेयर करते हैं. इस साल यानी 2023 में मदर्स डे 14 मई को मनाया जा रहा है. मदर्स डे के मौके पर उर्दू के कुछ चुनिंदा शायरों की शायरी.
मदर्स डे पर 10 चुनिंदा शेर
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है
मुनव्वर राना
किताबों से निकल कर तितलियाँ ग़ज़लें सुनाती हैं
टिफ़िन रखती है मेरी माँ तो बस्ता मुस्कुराता है
सिराज फ़ैसल ख़ान
चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है
मैं ने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है
मुनव्वर राना
एक मुद्दत से मिरी माँ नहीं सोई 'ताबिश'
मैं ने इक बार कहा था मुझे डर लगता है
अब्बास ताबिश
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई
मैं घर में सब से छोटा था मिरे हिस्से में माँ आई
मुनव्वर राना
माँ ने लिखा है ख़त में जहाँ जाओ ख़ुश रहो
मुझ को भले न याद करो घर न भूलना
अजमल अजमली
इस लिए चल न सका कोई भी ख़ंजर मुझ पर
मेरी शह-रग पे मिरी माँ की दुआ रक्खी थी
नज़ीर बाक़री
शायद यूँही सिमट सकें घर की ज़रूरतें
'तनवीर' माँ के हाथ में अपनी कमाई दे
तनवीर सिप्रा
अब इक रूमाल मेरे साथ का है
जो मेरी वालिदा के हाथ का है
सय्यद ज़मीर जाफ़री
जब भी कश्ती मिरी सैलाब में आ जाती है
माँ दुआ करती हुई ख़्वाब में आ जाती है
मुनव्वर राना