मोहनलाल को साउथ का सुपरस्टार कहा जाता है, जिनकी हर साल दो से पांच फिल्में आती हैं और उनमें से 3 तो हिट की गिनती में शामिल होना पक्का होता है. लेकिन एक समय था जब उनका चार्म फैंस तक नहीं पहुंचा था और एक डायरेक्टर ने उन्हें 100 में से केवल 2 अंक की रेटिंग दी थी. हालांकि किस्मत पलटी और उसी डायरेक्टर ने मोहनलाल को उनका पहला नेशनल अवॉर्ड दिया. हुआ कुछ ऐसा था कि मलयालम सिनेमा के सुपरस्टार मोहनलाल की फिल्मों में एंट्री नहीं होती अगर ऑडिशन पैनल के किसी सदस्य ने उन्हें खराब अंक दिए होते, तो शायद उन्हें मंजिल विरिन्जा पुक्कल में अपनी पहली भूमिका कभी नहीं मिल पाती.
दरअसल, मोहनलाल के करियर की शुरुआत के दौरान एक ऑडिशन के पैनलिस्टों में से एक - जो फिल्म निर्माण के इच्छुक थे और मंजिल विरिन्जा पुक्कल के एसोसिएट डायरेक्टर के रूप में काम कर रहे थे. उन्होंने मोहनलाल को 100 में से केवल दो अंक दिए. हालांकि हैरानी की बात यह है कि इसी व्यक्ति द्वारा निर्देशित फिल्म के माध्यम से मोहनलाल ने बाद में अपना पहला राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता. वह पैनलिस्ट कोई और नहीं बल्कि सिबी मलयिल थे, जो दिग्गज निर्देशक हैं और मलयालम सिनेमा को कई यादगार फ़िल्में दीं, जिनमें से कई में मोहनलाल मुख्य भूमिका में थे.
हाल ही में, सुपरस्टार और निर्देशक ने पुरानी यादों को ताज़ा करते हुए उस पहले ऑडिशन को याद किया जब सिबी ने मोहनलाल को सबसे कम अंक दिए थे. मोहनलाल ने सिबी की पहली निर्देशित फिल्म मुथारमकुन्नू पीओ की 40वीं एनिवर्सरी के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहा, "मेरे पहले ऑडिशन के दौरान सिबी पैनल का हिस्सा थे. बाद में मुझे पता चला कि उन्होंने ही मुझे सबसे कम अंक दिए थे, 100 में से सिर्फ़ दो. लेकिन बाद में यही दो अंक मेरे लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ बन गए. मैंने उनकी फिल्मों के जरिए दो राष्ट्रीय पुरस्कार जीते."
गौरतलब है कि मोहनलाल ने थिरानोत्तम से 1978 में डेब्यू किया था. उन्होंने फिल्म में कॉमेडी रोल निभाया था. हालांकि 1980 में फिल्म मंजिल विरिनजा पुक्कल से उन्हें विलेन के किरदार में पॉपुलैरिटी हासिल की. वहीं सिबी मलयिल के साथ फिल्मों की बात करें तो वह मुद्रा, कीर्डम, हीज हाइनेस अब्दुल्लाह और दूरे दूरे ओरु कूड़ा कोट्टम में साथ काम कर चुके हैं.