जब नहीं मिला काम तो दोस्तों के साथ मिलकर अपने लिए बना डाली फिल्म, आज है साउथ का टॉप स्टार

इस स्टार का नाम आज साउथ की इंडस्ट्री में ही नहीं हिंदी फैन्स के बीच भी खासा पॉपुलर है.

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विजय देवरकोंडा
नई दिल्ली:

विजय देवराकोंडा का एक्टिंग करियर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है. 'अर्जुन रेड्डी' जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्म में एक्टिंग करने से लेकर लाइगर और अब खुशी तक विजय ने एक लंबा सफर तय किया है. भले ही तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री पर अक्सर नेपोटिज्म का टैग लगता है लेकिन विजय देवराकोंडा स्टारडम के लिए महेश बाबू और अल्लू अर्जुन के बीच अपनी जगह बनाने में कामयाब रहे हैं. उन्होंने अपनी फिल्म लाइगर की प्रमोशन के दौरान अपने स्ट्रगल और मुश्किल शुरुआत के बारे में बात की थी.

उन्होंने कहा, "यह आसान नहीं है. अगर कोई इसे वाकई करना चाहता है तो...यह शायद मेरी जिंदगी का सबसे मुश्किल काम था. एक ऐसा प्लैटफॉर्म ढूंढना जहां आपकी आवाज सुनी जा सके और आपको एक एक्टर के तौर पर देखा जा सके. यह असल में मुश्किल था. उन्होंने बताया कि 2012 की फिल्म 'लाइफ इज ब्यूटीफुल' के साथ ऑन-स्क्रीन डेब्यू करने से पहले वह थिएटर में एक्टिवली काम कर रहे थे. उन्होंने लगातार छह नाटकों में काम किया. इस उम्मीद में कि फिल्म मेकर्स उन पर ध्यान देंगे लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया.

विजय ने कहा, “जब मैंने थिएटर खत्म किया तो मैंने सोचा कि मैं अनाउंस करूंगा कि मैं हीरो बनना चाहता हूं और सभी प्रोड्यूसर्स लाइन में लग जाएंगे. मैंने सोचा था कि मैं डेब्यू करूंगा और एक्टर बनूंगा लेकिन जब मैंने आना चाहा तो बात करने के लिए कोई नहीं था. कोई नोटिस नहीं कर रहा था." 

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खुद ही किया खुद को लॉन्च

विजय ने बताया, “मैं ऑडिशन कॉल के लिए अप्लाई करता था. कास्टिंग का इंतजार करता था...जैसा कि हर स्ट्रगलर एक्टर करता है. मैं हर रात ये सोचकर सोता था कि मुझे कोई कॉल आएगा. मेरे एक नाटक में किसी ने मुझे देखा और एक छोटा सा रोल ऑफर किया. डायरेक्टर शेखर कम्मुला ने मुझे कास्टिंग के लिए बुलाया. यह एक सपोर्टिंग रोल था. इसके बाद एक साल तक काम नहीं मिला."

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अपने बड़े सपने को पूरा करने के लिए विजय कुछ दोस्तों के साथ मिलकर हल्की-फुल्की रोमांटिक कॉमेडी पेली चूपुलु को बड़े पर्दे पर लाए और वह भी 60 लाख रुपये के बजट में. इसके बारे में बताते हुए विजय ने कहा, "हमने इसे 60 लाख रुपये में बनाया. हम में से किसी ने भी कोई पैसा नहीं लिया. हमने दो इन्वेस्टर्स से कुछ पैसे जुटाए. इसे रिलीज करने के लिए खूब स्ट्रगल किया. कई प्रोडक्शन हाउस में फिल्म दिखाई लेकिन किसी ने हमारी फिल्म में पैसे नहीं लगाए. एक थे जिन्होंने इसे देखा और इसे पसंद किया. उन्होंने इसे रिलीज करने में हमारी मदद करने का फैसला किया. इसकी शुरुआत बहुत छोटी थी लेकिन इसने 25-30 करोड़ रुपये की कमाई हुई और राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला. इस फिल्म ने मुझे लॉन्च किया. यह था सोलो लीड के रूप में मेरी पहली फिल्म. अचानक हर कोई मुझे जानने लगा. फिर अर्जुन रेड्डी आई और तब से मेरे पास काम की कमी नहीं है.

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