रंजन राज ने कई फिल्मों और वेब सीरीज में सपोर्टिंग रोल किए हैं. वह बिहार के एक छोटे से जिले के रहने वाले हैं. रंजन 'कोटा फैक्ट्री' में बालमुकुंद मीना के रोल में अपनी परफॉर्मेंस से छाप छोड़कर हर किसी के पसंदीदा बन गए. ये सीरीज उन स्टूडेंट्स पर बेस्ड थी जो आईआईटी एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी करते हैं. वो एग्जाम जो कभी उन्होंने खुद क्लियर किया था.
जिस तरह से उन्होंने खुद को इस रोल में डुबोया उससे वह अलग दिखे. उन्होंने मीना के रोल में जान फूंक दी. शायद मीना यानी कि राज जानते थे कि इस एग्जाम में कितनी डेडिकेशन चाहिए...तभी जब इस तरह का रोल ऑफर हुआ तो उन्होंने उसे हू ब हू स्क्रीन पर उतारने का मौका नहीं छोड़ा. वह स्कूल के समय पढ़ाई लिखाई में काफी अच्छे थे. स्कूल में थे तो इंजीनियर बनने का सपना देखा करते थे ताकि वह अपने परिवार को आर्थिक रूप से मदद कर सकें. उनकी सफलता की राह आसान नहीं थी. उनके पास एक विजन क्लियर था. वह पूरे फोकस के साथ अपने लक्ष्य के लिए जुट गए.
अपने दो सीनियर्स के कहने पर रंजन ने जेईई की तैयारी के लिए स्कूल के बाद पटना के एक कोचिंग सेंटर में एडमिशन लिया. घरवाले कोचिंग दिलवाने में असमर्थ थे फिर भी रंजन ने इसका इंतजाम कर लिया. दो साल की कोशिश के बाद आखिरकार उन्होंने जेईई पास कर लिया और आईआईटी बॉम्बे में एक सीट हासिल की. हालांकि उन्होंने अपने एक्टिंग के शौक के आगे घुटने टेके और कॉलेज छोड़ दिया.
जब वे पहली बार आईआईटी पहुंचे तो उन्होंने देखा कि स्टूडेंट पढ़ाई के अलावा दूसरी चीजों में भी दिलचस्पी लेते थे. वह अपने माहौल से इंस्पायर हुए और कुछ नाटकों में हिस्सा लेने लगे. धीरे धीरे वे इसके तरफ आगे बढ़ते गए और इंजीनियरिंग के अपने दूसरे साल में अपने नए पैशन को सीरियसली लेने के लिए कॉलेज छोड़ दिया.