रेड लाइट एरिया में जन्मी इस एक्ट्रेस पर बनी भारत की सबसे महंगी सीरीज, खूबसूरती पर फिदा थे लोग, पति ने गोलियों से किया था छलनी

जब इस पाक तवायफ पर एक प्रोड्यूसर की नजर पड़ी तो उसे अपनी फिल्म की एक्ट्रेस बना लिया.

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इस एक्ट्रेस पर बनी भारत की सबसे महंगी सीरीज
नई दिल्ली:

हिंदी सिनेमा में पाकिस्तान की कई अदाकाराओं ने काम किया है और यह सिलसिला आज भी जारी है. पाक सिनेमा की कई कहानियां भी हिंदी सिनेमा में देखने को मिली हैं. बात करेंगे उस पाक अभिनेत्री की, जिस पर बॉलीवुड के दिग्गज डायरेक्टर संजय लीला भंसाली की पहले सीरीज हीरामंडी- द डायमंड बाजार बेस्ड बताई जाती है. इस अभिनेत्री का मर्डर खुद इसके हसबैंड ने किया था. इस पाक हसीना ने तकरीबन 100 फिल्मों में काम किया. यह एक्ट्रेस असल में एक तवायफ थी और लाहौर के रेड लाइट एरिया पर काम करती थी. इसी की कहानी को देश की सबसे महंगी सीरीज हीरामंडी-द डायमंड बाजार में दिखाया गया था.
 

कौन थी ये पाक हसीना?

बात हो रही है नरगिस बेगम उर्फ निग्गो की, जो अपनी मां के नक्शेकदम पर चल एक तवायफ बनी थीं. वह हीरामंडी में सजने वाली महफिल में मुजरा किया करती थीं. उन्हें देखने के लिए पैसों वालों की भीड़ लगती थी. वहीं, 40 के दशक में राजशाही खत्म होने के दौर पर थी और इस वक्त सिनेमा की अच्छी शुरुआत हो रही थी. यह वो दौर था जब महिलाएं सिनेमा में काम करने से कतराती थीं. जब फिल्ममेकर को फिल्म के लिए हीरोइन की जरूरत होती थी, तो वह कोठे का रुख किया करते थे. वहीं, हीरामंडी में महफिल सजाए बैठीं निग्गों पर एक प्रोड्यूसर की नजर पड़ी. निग्गो एक क्लासिकल डांसर भी थी. ऐसे में प्रोड्यूसर निग्गो से इंप्रेस हुआ और कुछ ही समय बाद उन्हें फिल्म का ऑफर दे दिया.

प्रोड्यूसर से रचाई शादी

निग्गो भी इस हीरामंडी के जंजाल से निकलना चाहती थीं और उन्होंने इस ऑफर को स्वीकार कर लिया. फिर साल 1964 में नरगिस ने पाकिस्तानी फिल्म इशरत से एक्टिंग डेब्यू किया. इसके बाद उन्होंने  शहंशाह-ए-जहांगीर (1968), नई लैला नया मजनू (1969), अंदालिब (1969), लव इन जंगल (1970), अफसाना (1970), मोहब्बत (1972) समेत 100 से ज्यादा फिल्मों में काम किया. इस दौरान उन्हें प्रोड्यूसर ख्वाजा महजर की फिल्म कासू में देखा गया, जहां दोनों में प्यार हो गया. ख्वाजा और नरगिस ने निकाह कर लिया, हालांकि लोग इनकी शादी के खिलाफ थे, क्योंकि निग्गो तवायफों के खानदान से थीं.  

पति ने ही कर दिया मर्डर

बात काफी आगे बढ़ गई और तवायफों से शादी के नए नियम बन गए. वहीं, कोठे बंद होने की कगार पर थे निग्गों अपनी मां का ख्याल रखने उनके पास चली गईं. जब वह बार-बार पति के बुलाने पर भी नहीं लौटी तो 5 जनवरी 1972 को हीरामंडी जाकर ख्वाजा ने एक बार फिर निग्गो से घर चलने की विनती की, लेकिन वह नहीं मानी. इसके बाद ख्वाजा ने जेब से बंदूक निकाली और निग्गों को छलनी कर दिया. निग्गों की हत्या के मामले में ख्वाजा को उम्रकैद की सजा हुई थी.


 

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