मिलिए 'इमरजेंसी की ग्लैमर गर्ल' से, एक सुपरस्टार की भतीजी तो दूसरी की मां, दिल्ली में इनके नाम से खौफ खाते थे लोग...

रुखसाना सुल्ताना ने पुरानी दिल्ली के मुस्लिम इलाकों में संजय गांधी के नसबंदी अभियान का नेतृत्व किया था. उन पर हज़ारों पुरुषों की जबरन नसबंदी करने का आरोप लगा.

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'आपातकाल की ग्लैमर गर्ल' कही जाती थी ये हसीना
नई दिल्ली:

मीनू बिम्बेट दिल्ली की जानी मानी सोशलाइट थी. वह रुखसाना सुल्ताना के नाम से मशहूर हुईं. रुखसाना ब्रिटिश भारत के पंजाब में पली-बढ़ीं और विभाजन के बाद दिल्ली आ गईं. बाद में उन्होंने भारतीय सेना के अधिकारी शिविंदर सिंह विर्क से शादी कर ली. एक राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में, 1970 के दशक तक वह संजय गांधी की करीबी सहयोगी और दोस्त बन गईं. उनकी प्रसिद्धि का कारण 1975-77 के आपातकाल के दौरान उनकी भूमिका थी, जब उन्होंने पुरानी दिल्ली के मुस्लिम इलाकों में संजय गांधी के नसबंदी अभियान का नेतृत्व किया था. उन पर हज़ारों पुरुषों की जबरन नसबंदी करने का आरोप लगा. इस अभियान ने उन्हें संजय और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ पूरी दिल्ली में  खौफ़ की पात्र बना दिया...

  
 वह 'आपातकाल की ग्लैमर गर्ल' कही जाने लगीं. उस दौर में लोग उन्हें बॉलीवुड की ज़्यादातर अभिनेत्रियों से भी ज़्यादा खूबसूरत कहते थे. रुखसाना ज़रीना की बेटी थीं, जिनकी बहन बेगम पारा 1950 के दशक में बॉलीवुड की प्रमुख अभिनेत्रियों में से एक थीं।. जिस तरह बेगम पारा को 'बॉलीवुड की ग्लैमर गर्ल' कहा जाता था, उसी तरह रुखसाना को 'आपातकाल की ग्लैमर गर्ल' का उपनाम मिला.

 1958 में, रुखसाना ने एक बेटी अमृता सिंह को जन्म दिया, जो 80 के दशक की टॉप एक्ट्रेसेस में से एक थीं. रुखसाना सारा अली खान और इब्राहिम अली खान की नानी और 1991 से 2004 तक सैफ अली खान की सास थी.  संजय की असामयिक मृत्यु और बाद में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद रुखसाना ने सार्वजनिक जीवन से संन्यास ले लिया. तब तक, अमृता ने अपने फ़िल्मी करियर की भी शुरुआत कर दी थी. बाद में वह लाइमलाइट से दूर रहने लगीं. 

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