'चलते चलते...यूं ही कोई मिल गया था...', बॉलीवुड की एवरग्रीन दीवा मीना कुमारी की फिल्मी जिंदगी में भले ही चलते चलते उन्हें लाखों फैंस मिले, लेकिन परदे पर उनकी खामोश खूबसूरती और संजीदगी भरी आंखें हमेशा लोगों को एक अनकहे जादू में बांधकर ही रखती आई. मीना कुमारी के बारे में कहा जाता है कि फिल्मी परदे पर उन्हें जितनी सक्सेस मिली, निजी जिंदगी में वो उतनी ही तन्हा रहीं. ताउम्र वो सच्चे प्यार के लिए तरसती रहीं और आखिरी के दिनों में वो इतनी अकेली हो गई थीं कि शराब को अपना हमसफर बना लिया था. मीना कुमारी की यादगार फिल्में आज भी उनके चाहने वालों के दिलों में इस खूबसूरत अभिनेत्री की यादों को ताजा रखती हैं.
कम उम्र में पिता के कहने पर बॉलीवुड में काम करने वालीं महजबीन बानो को मीना कुमारी नाम मिला तो सफलता उनके कदम चूमने लगी. साहिब बीबी और गुलाम, परिणीता और आजाद जैसी कालजयी फिल्मों से सुपर स्टार बनीं मीना कुमारी सच में ट्रेजेडी क्वीन ही बनकर रहीं. फिल्मों में उनके साथ तो कई स्टार दिखते, लेकिन असल जिंदगी में उनकी जिंदगी में कोई प्यारा सितारा नहीं था. भरा पूरा परिवार होने के बावजूद उन्हें उस प्यार की तलाश थी, जो उन्हें अपने वजूद में छिपा ले.
कहते हैं कि मीना कुमार को पाकीजा जैसी फिल्म बनाने वाले फिल्म निर्माता और निर्देशक कमाल अमरोही से प्रेम हो गया. मीना कुमारी दो बच्चों के पिता कमाल के इश्क में इस तरह गिरफ्तार हुई कि 14 फरवरी के दिन छिपकर उनसे निकाह कर लिया था. एक साल तक दुनिया से छिपाने के बाद मीना कुमारी कमाल अमरोही के पास आ गई. कमाल मीना से प्यार तो करते थे, लेकिन मीना कुमारी की शोहरत उनके गले नहीं उतरती थी. कहा जाता है कि मीना कुमारी की शोहरत और इज्जत देखकर कमाल अमरोही में इतनी मानसिक असुरक्षा की भावना आ गई कि इस जोड़े का प्यार बिखर गया.
मीना कुमारी जिस अकेलेपन का शिकार थीं, उसे पूरा करने के लिए उन्होंने कई लोगों का दिल खंगाला लेकिन हर बार नाकामी ही हाथ लगी. कहते हैं कि मीना कुमारी ने धर्मेंद्र को स्टार बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई. धर्मेंद्र उस वक्त इंडस्ट्री में नए थे और मीना कुमारी शिखर पर थीं. उन्होंने अपनी फिल्मों में धर्मेंद्र को लेने की जिद की और पूर्णिमा, काजल, मंझली दीदी, फूल और पत्थर, मैं भी लड़की हूं और बहारों की मंजिल में उनके साथ जोड़ी बनवाई.
पाकीजा मीना कुमारी के लिए आखिरी फिल्म साबित हुई क्योंकि इस समय कमाल से उनके रिश्ते पूरी तरह टूट चुके थे और वो तन्हाइयों में आकर इतना पीने लगी कि लिवर सिरोसिस का शिकार बन गई. तब पाकीजा का काम अटका था और कमाल ने मीना कुमारी से अपने पुराने प्यार की खातिर ही सही, लेकिन फिल्म पूरी करने की गुजारिश की.
मीना कुमारी ने बीमारी के बावजूद कमाल की बात मानी और इस फिल्म को पूरा करवाया. मीना कुमारी का 31 मार्च 1972 में निधन हो गया था.