हिंदी सिनेमा की दुनिया में जितना नाम हीरो और सुपरस्टार्स ने कमाया है, उतना ही खौफ कई विलेन ने भी छोड़ा है. 70 और 80 के दशक का दौर विलेन के लिए गोल्डन एरा माना जाता है. इस दौर में प्राण, अजीत, अमजद खान और अमरीश पुरी जैसे बड़े नाम सामने आए, लेकिन इनके बीच एक ऐसा खतरनाक चेहरा भी था, जिसने पर्दे पर आते ही दर्शकों को सहमा दिया. यह शख्स था मानिक ईरानी, जिसे लोग आज भी उनके किरदार ‘बिल्ला' के नाम से याद करते हैं.
मानिक का शुरुआती सफर बहुत संघर्षों भरा रहा. फिल्मों में कदम रखने से पहले वे बतौर स्टंटमैन और हीरो के बॉडी डबल काम करते थे. कम लोग जानते हैं कि सुपरहिट फिल्म ‘डॉन' में अमिताभ बच्चन के सारे खतरनाक स्टंट मानिक ने किए थे. अमिताभ की तरह लंबा-चौड़ा कद होने की वजह से वह आसानी से उनके डबल बन जाते थे. फिल्म सुपरहिट रही, लेकिन इस मेहनत का श्रेय कभी उनके हिस्से नहीं आया.
धीरे-धीरे उन्होंने छोटे-छोटे रोल किए और ‘कालीचरण', ‘त्रिशूल', ‘शान', ‘मिस्टर नटवरलाल' जैसी फिल्मों में दिखे. लेकिन 1983 में आई सुभाष घई की ‘हीरो' ने उनकी किस्मत बदल दी. इस फिल्म में निभाया गया किरदार ‘बिल्ला' इतना पॉपुलर हुआ कि मानिक हमेशा के लिए बॉलीवुड के डरावने विलेन की लिस्ट में शामिल हो गए.
हालांकि, पर्दे पर खलनायक का किरदार निभाने वाला यह इंसान असल जिंदगी में बेहद नेकदिल था. लेकिन किस्मत ने उसके साथ क्रूर मजाक किया. पहले पत्नी ने साथ छोड़ दिया और फिर उनके बेटे की अचानक मौत हो गई. बेटे के गम ने उन्हें तोड़कर रख दिया. उन्होंने दर्द भुलाने के लिए शराब का सहारा लिया और धीरे-धीरे इसकी गिरफ्त में पूरी तरह डूब गए.
कहा जाता है कि यही लत उनके लिए मौत का कारण बनी. एक समय जिस विलेन को देख दर्शक कांप उठते थे, वही मानिक ईरानी गुमनामी में खो गए. आज भी लोग जब ‘बिल्ला' का नाम लेते हैं, तो पर्दे पर उनकी खतरनाक छवि जहन में ताजा हो जाती है.