हंसते चेहरे की दर्दनाक कहानी, बीमारी में किया काम, सेट पर हुई बेहोश, ऐसे पूरी की आखिरी समय में मधुबाला ने फिल्मों की शूटिंग

मधुबाला ने महज 8 साल की उम्र में काम करना शुरू कर दिया था. वह अपने पिता अताउल्लाह खान के फैसलों के अनुसार अपने जीवन के फैसले लेती रहीं. वह घर चलाने के लिए बचपन से काम करती रहीं.

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मधुबाला ने महज 8 साल की उम्र में काम करना शुरू कर दिया था
नई दिल्ली:

सिनेमा की सुपरस्टार मधुबाला. अपने दौर में वह भारतीय सिनेमा का चमकता सितारा थीं. बॉलीवुड ही नहीं हॉलीवुड तक वह मशहूर थीं. उन्होंने अपने करियर में मुगल-ए-आज़म से लेकर मिस्टर एंड मिसेज 55 तक एक्ट्रेस ने  कई सुपरहिट फिल्में दीं. आज भी मधुबाला  फैंस के दिलों में बसती हैं. हर उम्र के लोग उनके खूबसूरती और सादगी के दीवाने हैं. जिस एक्ट्रेस को लेकर फैंस के दिलों में दीवानगी आज भी कम नहीं हुई, आपको जानकर हैरानी होगी कि उस एक्ट्रेस को जीते जी कभी सच्चा प्यार नसीब नहीं हुआ, ना ही सुकून. उनका जीवन दुख से भरा था, लेकिन उनकी हंसी ऐसी थी देख कर उनके दुख का कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता था. तकलीफों की शुरुआत इनके जीवन में जन्म के साथ ही शुरू हो गया. पूरी जिंदगी उनके पिता ने उन्हें कंट्रोल किया. यहां तक की अपने पिता के कारण उन्होंने अपना प्यार तक खो दिया. फिर वह एक ऐसे रिश्ते में रहीं, जहां उनका कोई कद्र नहीं थी.

मधुबाला ने महज 8 साल की उम्र में काम करना शुरू कर दिया था. वह अपने पिता अताउल्लाह खान के फैसलों के अनुसार अपने जीवन के फैसले लेती रहीं. वह घर चलाने के लिए बचपन से काम करती रहीं. दोस्त न बनाने से लेकर स्क्रिप्ट चुनने और अपने प्यार से दूर होने तक उनके पिता उनके जीवन के फैसले लेते रहे. मधुबाला के पिता अताउल्लाह खान ने आयशा बेगम से शादी की और उनके 11 बच्चे हुए, जिनमें से उनकी पांच बेटियां ही जीवित रहीं. आजीविका की तलाश में वे एक जगह से दूसरी जगह जाते रहे और बाद में मुंबई में बस गए. सपनों के शहर में पहुंचने पर उन्होंने  फैसला किया कि उनकी बेटी मुमताज यानी मधुबाला जो किसी परी से कम नहीं दिखती थी, उसे फिल्मों में काम करना चाहिए. तभी उनके घर की स्थिति सुधर सकती है. 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मधुबाला मुश्किल से सात साल की थीं. जब बॉम्बे टॉकीज़ की संस्थापक देविका रानी ने कहा कि यह लड़की एक दिन बड़ी स्टार बनेगी. अताउल्लाह ने मधुबाला को फिल्मों में काम करने की परमिशन दी. हालांकि, हर आज़ादी की एक कीमत होती है. कोलिन पाल द्वारा लिखी गई शूटिंग स्टार्स के मुताबिक मधुबाला के पिता नौकरी की तलाश में बॉम्बे की सड़कों पर भटक रहे थे. लेकिन जैसे ही मधुबाला को फिल्मों में काम करने का अवसर मिला, उनकी किस्मत पलट गई. 

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मधुबाला को उनके पिता अताउल्लाह ने मुगल-ए-आज़म जैसी फिल्मों के लिए भारी-भरकम कॉस्ट्यूम में लंबे समय तक काम करने के लिए मजबूर किया. उनके पिता हमेशा चाहते थे कि उनकी बेटी उनके आंखों के सामने रहे. उन्होंने मधु को मुंबई में काम करने की अनुमति दी, लेकिन जैसे ही शहर के बाहर कोई शूटिंग होती वह मना कर देते. ताकि उनकी बेटी उनके कंट्रोल में रहे. 

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मधुबाला की बहन मधु भूषण ने खुलासा किया था कि उनके पिता ने अपनी बेटियों को किसी भी तरह के नुकसान से बचाने के लिए पार्टियों पर सख्त प्रतिबंध लगा रखा था. उन्होंने आगे कहा कि हालांकि उन्होंने कभी भी उनमें से किसी को शारीरिक रूप से नुकसान नहीं पहुंचाया, लेकिन उनकी सख्त, नीली आंखों से हम डरते थे. फिल्मों में काम करने दौरान ही मधुबाला को दिलीप कुमार से प्यार हो गया, लेकिन एक्ट्रेस के पिता के कारण दोनों को अलग होना पड़ा.

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अपनी आत्मकथा, दिलीप कुमार: द सब्सटेंस एंड द शैडो में दिलीप कुमार ने लिखा, मधुबाला के पिता अताउल्लाह चाहते थे कि वह उनकी प्रोडक्शन कंपनी में उनके अधीन काम करें. तब दिलीप कुमार ने इसका विरोध किया, क्योंकि वह उनके सभी हुक्मों के आगे झुकना नहीं चाहते थे. मधुबाला अपने पिता का विरोध नहीं कर सकीं और दिलीप कुमार से अलग हो गईं.

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 खतीजा अकबर द्वारा लिखी गई किताब आई वांट टू लिव: द स्टोरी ऑफ मधुबाला के मुताबिक प्रसिद्ध नृत्यांगना सितारा देवी जिक्र किया था कि कई बार मधुबाला गेटवे ऑफ इंडिया के लिए बॉम्बे में रात भर की शूटिंग के दौरान सेट पर बेहोश हो जाती थीं. वहीं चेन्नई में शूट के दौरान खून की उल्टी भी कर देती थीं. डॉक्टर के आराम करने की सलाह के बावजूद मधुबाला के पिता ने उन्हें काम करने दिया और वह बस उनके आदेशों का पालन करती रहीं. 

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