लता मंगेशकर ने हेडमास्टर की वजह से छोड़ दिया था स्कूल जाना, जानिए क्या हुआ था ऐसा

30 हजार से ज्यादा गाने गाने वाली सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर को दुनिया के छह विश्वविद्यालयों से डॉक्टरेट की डिग्री मिली है, लेकिन सच्चाई यह है कि लता मंगेशकर ने सिर्फ एक ही स्कूल में बिताया है.

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लता मंगेशकर का निधन

नई दिल्ली:

सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर आज अपना 88वां जन्मदिन मना रही हैं. इस मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं लता मंगेशकर के बारे में कुछ ऐसे फैक्ट्स जो बहुत कम लोग जानते हैं. 30 हजार से ज्यादा गाने गाने वाली सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर को दुनिया के छह विश्वविद्यालयों से डॉक्टरेट की डिग्री मिली है, लेकिन सच्चाई यह है कि लता मंगेशकर ने सिर्फ एक ही दिन स्कूल में बिताया है. पहली ही क्लास में हैडमास्टर से नाराज हुई, फिर स्कूल की तरफ मुंह उठाकर भी नहीं देखा. पहले ही दिन जाकर लता मंगेशकर साथी बच्चों को गाना सिखा रही थीं. उसी वक्त हैडमास्टर ने उन्हें चुप होने को कहा. जिससे वो इतनी नाराज हो गईं कि कभी स्कूल में कदम न रखने का फैसला लिया. 

भारत रत्न लता मंगेशकर (जन्म 28 सितंबर, 1929 इंदौर), भारत की सबसे लोकप्रिय और आदरणीय गायिका हैं, जिनका छह दशकों का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा पड़ा है. हालांकि लता जी ने लगभग तीस से ज्यादा भाषाओं में फिल्मी और गैर-फिल्मी गाने गाए हैं, लेकिन उनकी पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्व गायक के रूप में रही है. अपनी बहन आशा भोसले के साथ लता जी का फिल्मी गायन में सबसे बड़ा योगदान रहा है. लता की जादुई आवाज के भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ पूरी दुनिया में दीवाने हैं.

मधुबाला थीं लता की आवाज पसंद
मधुबाला मानती थीं कि लता की आवाज उन पर खूब जंचती है, इसलिए वो अपने हर कॉन्ट्रैक्ट में ये शर्त रखती थीं कि उनके लिए लता ही प्लेबैक करें. हालांकि लता का मानना था कि उनकी आवाज सायरा बानो पर ज्यादा अच्छी लगती है.

हवाई सफर करने से डरती हैं लता 
लता जी को हवाई सफर से डर लगता है. इसलिए जब फ्रांस की सरकार ने उन्हें ‘प्रेस्टीजियस अवॉर्ड' से सम्मानित किया, तो लता ने उनसे मुंबई आकर ये अवॉर्ड देने की गुजारिश की थी.
 

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जब लता से गुस्सा हो गए दिलीप कुमार
दिलीप कुमार लता मंगेशकर को अपनी छोटी बहन मानते हैं. लता भी बताती हैं कि बॉलीवुड में वो जिसे सबसे करीब मानती हैं तो वो दिलीप कुमार ही हैं. एक बार दिलीप कुमार लता मंगेशकर से गुस्सा हो गए थे. 1974 में लंदन के रॉयल एल्बर्ट हॉल में लता मंगेशकर अपना पहला कार्यक्रम कर रही थीं तो उसकी शुरुआत करने के लिए दिलीप कुमार को बुलाया गया था. दिलीप कुमार अपने काम को बड़े सलीके से अंजाम देते थे और छोटी बातों पर बेहद ध्यान देते थे. पाकीजा के गाने इन्ही लोगों ने ले लिया दुपट्टा मेरा के साथ इस कार्यक्रम की शुरुआत करने के विचार से वह नाराज हो गए थे. यह गाना आप क्यों गाना चाहती हैं, जबकी इसके बोल उतने शाईस्ता नहीं हैं? इस पर लता ने दिलीप कुमार को समझाने की कोशिश भी की यह गाना लोकप्रिय है और लोग सुनना चाहेंगे, लेकिन दिलीप इससे सहमत नहीं हुए और गुस्सा हो गए थे. 
 
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