बॉलीवुड के शुरुआती दिनों में इसे खड़ा करने में कई लोगों ने योगदान दिया, जिन्हें बाद के एक्टर्स ने भी फॉलो किया. ऐसा ही एक नाम है भगवान दादा. फिल्म इंडस्ट्री के पहले डांसिंग और एक्शन स्टार भगवान दादा को फिल्म इंडस्ट्री का भगवान कहा गया. एक अगस्त 1913 को जन्मे भगवान दादा का पूरा नाम भगवान आभाजी पालव था. भगवान दादा ने शुरुआती दिनों में मजदूरी कर के गुजारा किया. बाद में फिल्मों के शौक के कारण वह एक्टर बने. उनके डांस के स्टाइल को आज तक कॉपी किया जाता है.
भगवान दादा ने मूक सिनेमा के दौर में फिल्म क्रिमिनल से डेब्यू किया. उनकी पहली बोलती फिल्म थी साल 1934 में आई हिम्मत-ए-मर्दा. इस फिल्म उनके साथ ललिता पवार नजर आई थीं. तब दोनों ही एक्टर्स इंडस्ट्री में नए थे. सीन के दौरान भगवान ने अनजाने में ललिता को इतना जोरदार थप्पड़ मारा कि वह कोमा में चली गईं. इस फिल्म के सीन ने उनकी आगे की जिंदगी बदल कर रख दी. ललिता उस दौर की खूबसूरत एक्ट्रेसेस में गिनी जाती थीं.
दरअसल फिल्म में एक सीन के दौरान भगवान दादा को ललिता पवार को थप्पड़ मारना था, लेकिन यह थप्पड़ इतने जोर का लगा कि वह फर्श पर गिर पड़ीं. उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां वह दो दिन तक कोमा में रहीं. बाद में उन्हें फैशियल पैरालिसिस यानी चेहरे में लकवा मार गया था. चार सालों तक उनका इलाज चला और इस बीच वह फिल्मों से दूर होती गईं. उनकी एक आंख छोटी हो गई और उनका चेहरा ही नहीं उनका करियर भी खराब होता गया. हालांकि इसके बाद इंडस्ट्री में उन्हें नेगेटिव रोल मिलने लगे और वह एक खलनायिका के रूप में मशहूर हो गईं. भगवान दादा को इस हादसे का जिंदगी भर मलाल रहा.
बता दें कि ललिता का असली नाम अंबा था. ललिता ने फिल्मों में बाल कलाकार के तौर पर काम किया और बड़ी होने के बाद वह हीरोइन के रोल में नजर आने लगीं. उनका जन्म 18 अप्रैल 1916 को नासिक में हुआ था. वहीं 24 फरवरी 1998 को पुणे में निधन हो गया था. ललिता ने अपने करियर में कई फिल्मों और टीवी सीरियलों में काम किया था. ललिता पवार का सबसे प्रचलित किरदार 'रामायण' में मंथरा का था.
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