Kuberaa Review: सिनेमाघरों में रिलीज हुई धनुष और नागा अर्जुन की फिल्म कुबेरा, जानें कैसी है फिल्म

‘कुबेरा’ कहानी है उन लोगों की जो गरीबी की ज़िंदगी जीते हैं और भीख माँगकर अपने दिन काटते हैं. फिल्म यह दिखाती है कि समाज के कुछ अमीर और प्रभावशाली लोग किस तरह इन ग़रीबों का नाम इस्तेमाल करके अपनी काली कमाई को सफेद करते हैं

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Kuberaa Review: सिनेमाघरों में रिलीज हुई धनुष और नागा अर्जुन की फिल्म कुबेरा
नई दिल्ली:

कलाकार: धनुष, नागा अर्जुन, रश्मिका मंदाना
निर्देशक: शेखर कम्मुला

कहानी:

‘कुबेरा' कहानी है उन लोगों की जो गरीबी की ज़िंदगी जीते हैं और भीख माँगकर अपने दिन काटते हैं. फिल्म यह दिखाती है कि समाज के कुछ अमीर और प्रभावशाली लोग किस तरह इन ग़रीबों का नाम इस्तेमाल करके अपनी काली कमाई को सफेद करते हैं, चाहे वह प्रॉपर्टी के सौदे हों या विदेश से आए पैसों का गलत इस्तेमाल. धनुष फिल्म में ‘देवा' नामक एक भिखारी की भूमिका में हैं, जो परिस्थितियों के फेर में उलझता चला जाता है. रश्मिका मंदाना की किरदार भी उसके साथ इस जाल में फंस जाती है. फिल्म धीरे-धीरे यह दिखाती है कि किस तरह धन, नैतिकता और सत्ता के बीच संघर्ष खड़ा होता है.

खामियां:
    1.फिल्म की लंबाई इसकी पकड़ को नुकसान पहुंचाती है. कई दृश्य अनावश्यक लगते हैं.
    2.कुछ चेसिंग सीक्वेंस और भटकाव वाले दृश्य बहुत खिंचे हुए लगते हैं, जिससे फिल्म कई जगह धीमी पड़ जाती है.
    3.धनुष का भिखारी वाला बैकग्राउंड और उनके भिखारियों को लेकर विचार उतने प्रभावशाली या विश्वसनीय नहीं लगते, जितना फिल्म उन्हें बनाना चाहती है.
    4.‘कुबेरा' एक दक्षिण भारतीय फिल्म है, और कई दृश्य खासतौर पर वहां के दर्शकों को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं. हिंदी डबिंग में कई बार संवादों की आत्मा खो जाती है, डबिंग की आवाज़ें और कलाकारों के हावभाव कई बार मेल नहीं खाते, जिससे भावनात्मक प्रभाव कम हो जाता है.

खूबियां:
    1.फिल्म का विषय बड़ा और सामयिक है, यह लालच, भ्रष्टाचार और नैतिकता जैसे गंभीर मुद्दों पर बात करती है.
    2.कई दृश्यों में फिल्म दर्शकों को बांधने में सफल रहती है.
    3.शेखर कम्मुला का निर्देशन संतुलित है, विशेषकर इमोशनल और टकराव वाले दृश्यों में.
    4.धनुष, नागा अर्जुन और रश्मिका मंदाना ने बेहतरीन अभिनय किया है. धनुष की बॉडी लैंग्वेज और नागा अर्जुन की स्क्रीन प्रेज़ेंस प्रभावशाली है.
    5.देवी श्री प्रसाद का संगीत कैची है और फिल्म को व्यावसायिक अपील देता है.

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कुल मिलाकर:

‘कुबेरा' एक  ठीक ठाक फिल्म है, पर हिंदी के दर्शकों को दक्षिण से जिस तरह की उम्मीद रहती है ये वैसी फ़िल्म नहीं , लेकिन विषय की गंभीरता, अभिनय और संगीत इसे एक बार जरूर देखने लायक बनाते हैं.

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रेटिंग: 2.5

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