हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जरी के लिए नहीं हैं 35 लाख, चंदा जुटाने को मजबूर हुआ फिल्म डायरेक्टर

हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए पैसे जुटाने के लिए मदद मांगने को मजबूर फिल्म डायरेक्टर. बताया पूरे पैसों का इंतजाम नहीं हुआ तो नहीं हो पाएगी सर्जरी.

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फिल्म डायरेक्टर हार्ट प्लेसमेंट के लिए जुटा रहा है चंदा
नई दिल्ली:

2008 में रिलीज हुई क्रेजी 4 के डायरेक्टर जयदीप सेन HOCM (हाइपरट्रॉफिक ऑब्सट्रक्टिव कार्डियोमायोपैथी) नाम की दिल की बीमारी से पीड़ित हैं और उन्हें हार्ट ट्रांसप्लांट करवाने की जरूरत है. वे इसका खर्च उठाने में असहत हैं और इसके लिए उन्होंने क्राउडफंडिंग का सहारा लिया है. उन्होंने बताया, "इस साल मुझे दो बार अस्पताल में भर्ती होना पड़ा - फरवरी और मई में. मैं बाद में मौत से बाल-बाल बच गया और मुझे तीन दिनों तक वेंटिलेटर पर रखना पड़ा. मेरे कार्डियोलॉजिस्ट ने मुझे बताया है कि मुझे हार्ट ट्रांसप्लांट की जरूरत है क्योंकि कोई और रास्ता नहीं है." 

डायरेक्टर ने कहा कि उन्हें 2011 से यह तकलीफ है. इसके बारे में उन्हें तब पता चला जब वे कृष-3 पर राकेश रोशन के साथ काम करते हुए उनके ऑफिस में गिर पड़े थे. उनके सीने में 13 साल से एक ICB (इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफिब्रिलेटर) लगा हुआ है जो उनके दिल की धड़कन बढ़ने पर उन्हें झटका देता है जिससे उन्हें अचानक मौत से बचाया जा सकता है. 

उन्होंने बताया, "फिलहाल मैं मुंबई में रिसीवर लिस्ट में नंबर 1 पर हूं. लेकिन सर्जरी की लागत ₹35 लाख है और मुझे ₹15 लाख और रखने के लिए कहा गया है. अस्पताल की पॉलिसी के मुताबिक वे मुझे सर्जरी के लिए तभी कन्फर्म कर सकते हैं जब पूरे ₹35 लाख जमा हो जाएं. मेरी सेविंग्स मेरी जरूरत की रकम की तुलना में बहुत कम है. बदकिस्मती से हमारी इंडस्ट्री में जब तक आप एक सफल ब्रांड नहीं बन जाते आपको हमेशा कम पेमेंट की जाती है." हालांकि उन्होंने बताया कि जरूरत के इस समय में इंडस्ट्री ने उनकी मदद करने के लिए कदम बढ़ाया है.

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उन्होंने कहा, “इंडस्ट्री में लगभग हर कोई मेरे बारे में जान गया है और उनमें से कुछ ने जो भी सही महसूस किया है वह मदद देने के लिए आगे आए हैं. आप किसी के सामने कोई आंकड़ा नहीं रख सकते. यह उनकी उदारता के बारे में है. इसलिए जो भी उनके दिल से आता है मैं उसे बेहद प्यार और धन्यवाद के साथ स्वीकार करता हूं.” 

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सेन ने जोर देकर कहा कि क्रेज़ी 4 के बाद से उन्हें बॉलीवुड में ज्यादा काम नहीं मिला है लेकिन टीवी उनके लिए तारणहार रहा है. “पिछले 13 सालों में ऐसे कई दौर आए हैं जब मेरे पास कोई काम नहीं था और यह बहुत निराशाजनक था. फिल्म इंडस्ट्री की सच्चाई यह है कि अक्सर जीनियस भूखे रह जाते हैं और गधे गुलाब जामुन खाते हैं. मैं इसका जीता जागता उदाहरण हूं. बहुत से डायरेक्टर्स ने असफल फिल्में बनाई हैं फिर भी उन्हें बड़े सितारों के साथ बहुत काम मिला है. लेकिन किसी अजीब कारण से कुछ ऐसा हुआ जिसने मुझे काम नहीं करने दिया. कई बार मैं लोगों से कहता हूं कि मुझे ऐसा लगता है कि मैंने एक ऐसी फिल्म बनाकर हत्या कर दी है जो बॉक्स ऑफिस पर अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाई. मैं पूरी तरह से सीढ़ी के निचले पायदान पर हूं."

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