एफआईपीआरईएससीआई (FIPRESCI) विजेता ह्यूमन्स इन द लूप को मिला किरण राव का साथ

ह्यूमन्स इन द लूप का प्रीमियर 5 सितंबर 2025 को मुंबई के सिनेपोलिस अंधेरी में होगा. इसके बाद 12 सितंबर से दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, तिरुवनंतपुरम और बेंगलुरु में फिल्म रिलीज होगी.

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नई दिल्ली:

फिल्ममेकर किरण राव और झारखंड के जाने-माने आदिवासी डायरेक्टर बिजू टोप्पो अब फीचर फिल्म ह्यूमन्स इन द लूप से बतौर एग्ज़िक्यूटिव प्रोड्यूसर जुड़ गए हैं. यह फिल्म हाल ही में एफआईपीआरईएससीआई (FIPRESCI इंडिया) अवॉर्ड जीत चुकी है, जिसे उसने ऑल वी इमेजिन ऐज़ लाइट के साथ साझा किया. फिल्म एक उरांव आदिवासी महिला नेहमा की कहानी है, जो एआई (AI) डेटा-लेबलिंग के काम में लगी होती है. कहानी दिखाती है कि कैसे इस तरह का “इनविज़िबल लेबर” आधुनिक टेक्नोलॉजी को ताक़त देता है, लेकिन इसके पीछे छुपे सामाजिक और सांस्कृतिक नुकसान भी हैं.

किरण राव ने कहा, “मैंने ह्यूमन्स इन द लूप देखी और यह बेहद गहरी और विचारशील लगी. यह टेक्नोलॉजी, श्रम और उन ज्ञान प्रणालियों की बात करती है जिन्हें हम खोने का खतरा उठा रहे हैं. इस प्रोजेक्ट को सपोर्ट करना मेरे लिए न सिर्फ़ ज़रूरी बल्कि बेहद अहम था.” किरण इससे पहले शिप ऑफ थीसियस और स्टोलन जैसी इंडिपेंडेंट फिल्मों को भी सपोर्ट कर चुकी हैं.

बिजू टोप्पो, जिन्होंने आदिवासी समुदायों के संघर्ष और कहानियों को दशकों तक कैमरे में उतारा है, ने कहा, “यह फिल्म सीधे उन ज़िंदगियों से जुड़ी है जिन्हें मैंने क़रीब से देखा है. लंबे समय तक आदिवासी नज़रिया न सिर्फ़ इतिहास बल्कि हमारे भविष्य की कल्पनाओं से भी गायब रहा है. ह्यूमन्स इन द लूप इसे साहसिक तरीके से सामने लाती है. मुझे गर्व है कि यह फिल्म लोकल भी है और ग्लोबल भी.”

फिल्म का निर्देशन अरन्या सहाय ने किया है और इसे स्टोरिकल्चर इम्पैक्ट फेलोशिप और एसएयूवी (SAUV) फिल्म्स के तहत मैथिवानन राजेंद्रन, सरभी रविचंद्रन, शिल्पा कुमार और अरन्या ने प्रोड्यूस किया है. निर्देशक अरन्या सहाय का कहना है, “इंडिपेंडेंट सिनेमा अक्सर तंग रस्सी पर चलने जैसा होता है. लेकिन किरण राव और बिजू टोप्पो जैसे नामों का साथ हमें और हिम्मत देता है. एक साल की आउटरीच और माइक्रो-कम्युनिटी स्क्रीनिंग्स के बाद अब फिल्म थिएटर में आ रही है. मेरी उम्मीद है कि दर्शक इसे बड़े पर्दे पर जरूर देखेंगे.”

ह्यूमन्स इन द लूप का प्रीमियर 5 सितंबर 2025 को मुंबई के सिनेपोलिस अंधेरी में होगा. इसके बाद 12 सितंबर से दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, तिरुवनंतपुरम और बेंगलुरु में फिल्म रिलीज होगी. इसके अलावा ‘सिनेमा ऑफ द पीपल' पहल के ज़रिए दर्शक अपने शहरों में स्क्रीनिंग की डिमांड भी कर सकेंगे. यह फिल्म न सिर्फ़ एक आदिवासी महिला की कहानी है बल्कि यह सवाल भी उठाती है कि हम टेक्नोलॉजी के साथ कौन-सा भविष्य बना रहे हैं.

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