61 बार एक ही रोल को निभाने वाले बॉलीवुड के खूंखार विलेन की दो फोटो, जो था कश्मीरी पंडित था, 40 साल के करियर में की 200 फिल्में

Kashmiri Pandit Is This Actor: बॉलीवुड के इस खूंखार विलेन ने 40 साल के करियर में 200 से ज्यादा फिल्में कीं. लेकिन 61 बार उन्होंने मुनि की भूमिका निभाकर अपना नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज कर लिया. 

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Kashmiri Pandit is dreaded villain of Bollywood उस एक्टर की 2 फोटो जिसने 61 बार निभाया था मुनि का रोल
नई दिल्ली:

Kashmiri Pandit is dreaded villain of Bollywood: वो कश्मीरी पंडित जिनका जन्म 24 अक्टूबर 1915 को कश्मीर घाटी में हुआ, कौन जानता था कि वह एक दिन फिल्मी दुनिया के बेहतरीन अभिनेता बनेंगे. एक ऐसा अभिनेता जिसे विलेन और एक मुनि के रोल में खूब पसंद किया गया. बात हो रही है मशहूर अभिनेता जीवन की, जिनका असली नाम ओंकारनाथ है. बचपन से ही उन्हें अभिनय करने का शौक था और यही शौक 1930 के दशक में जीवन को मुंबई ले आया. जब वह मुंबई पहुंचे तो उनकी जेब में महज 26 रुपए और अभिनय का जुनून था. 

खलनायक के किरदार में फेमस हुआ ये एक्टर | Jeevan birthday

मुंबई पहुंचते ही जीवन ने छोटे-मोटे रंगमंच के काम से शुरुआत की. 1935 में आई 'रोमांटिक इंडिया' से उन्होंने फिल्मी करियर की शुरुआत की. लेकिन असली धमाका 40 के दशक में हुआ, जब 'स्टेशन मास्टर' और 'घर की इज्जत' जैसी फिल्मों में उनकी संजीदा अदाकारी ने दर्शकों का दिल जीत लिया. 'धर्मवीर', 'अफसाना', 'नया दौर', और 'मेला' में उनके खलनायक वाले किरदार आज भी रोंगटे खड़े कर देते हैं.

61 बार बने मुनि |  Jeevan Became Muni 61 Times

जीवन का असली जादू नारद मुनि के किरदार में देखने को मिला. 1940 से 1980 तक, उन्होंने 61 बार इनकी भूमिका निभाई. यह एक ऐसा रिकॉर्ड है, जो लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है. जब भी वो वीणा लिए सफेद धोती में मुस्कान के साथ पर्दे पर दिखाई देते तो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते.

200 से ज्यादा फिल्मों में किया काम

दूत से लेकर विलेन तक, जीवन ने साबित कर दिया कि टैलेंट की कोई सीमा नहीं. 70-80 के दशक में उन्होंने 200 से ज्यादा फिल्मों में काम किया, जहां हर रोल में उनकी आवाज दिलों को भेदती चली गई. जीवन का चेहरा उस दौर में दर्शकों को या तो क्रूर साहूकार की याद दिलाता था या फिर नारद मुनि की. उनके करियर का सबसे बड़ा दांव, सबसे बड़ा प्रभाव, और सबसे बड़ा किस्सा 1960 की एक फिल्म से जुड़ा है.

एक ऐसी फिल्म जिसमें वह पूरी कहानी के दौरान अनुपस्थित थे और जब अंत में सिर्फ एक सीन के लिए सामने आए, तो उन्होंने न सिर्फ पूरी कहानी का रुख मोड़ दिया, बल्कि अपने लिए एक फिल्म इंडस्ट्री में स्थायी पहचान भी बना ली. इस किस्से का जिक्र जीवन ने इंटरव्यू में किया था.

विलेन का किरदार निभाकर हुए फेमस

बात 1960 की है, जब निर्देशक बी.आर. चोपड़ा अपनी फिल्म 'कानून' के साथ एक बड़ा जोखिम उठा रहे थे. यह हिंदी सिनेमा की शुरुआती फिल्मों में से एक थी जिसमें कोई गाना नहीं था यानी यह पूरी तरह से अपनी सस्पेंस और कहानी पर निर्भर थी. इस अनूठी फिल्म में जीवन को एक ऐसा किरदार मिला, जो पहले कभी नहीं दिया गया था, वह विलेन जो अदृश्य है.

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यह किरदार था 'कालीदास', एक खूंखार और शातिर मुजरिम, जो पूरी कहानी के दौरान एक रहस्य बना रहता है. 'कानून' का क्लाइमेक्स, एक कोर्ट रूम ड्रामा था, जहां दर्शक पूरी फिल्म में हत्यारे की पहचान जानने के लिए बैठे थे. यही वह पल था जहां जीवन के करियर का सबसे बड़ा जादू हुआ. फिल्म के अंतिम क्षणों में जब सभी रहस्य सुलझ जाते हैं, तब पता चलता है कि जिस व्यक्ति को अब तक हत्यारा समझा जा रहा था, वह केवल एक मोहरा था. असली मास्टरमाइंड तो वह व्यक्ति था, जो अब अदालत के कटघरे में खड़ा होगा और वह थे जीवन.

जीवन का एकमात्र दृश्य कोर्ट रूम में था. अपने शांत, लेकिन आंखों में चालाकी भरे लुक के साथ, वह कुछ मिनटों के लिए पर्दे पर छा गए। उनका वह खतरनाक हाव-भाव और शातिर अभिव्यक्ति इतनी जबरदस्त थी कि दर्शकों के रोंगटे खड़े हो गए. इस केवल एक सीन ने पूरी फिल्म के सस्पेंस को एक नया आयाम दिया। यह किसी भी विलेन द्वारा दिया गया सबसे छोटा, फिर भी सबसे अधिक यादगार प्रदर्शन बन गया. फिल्म 'कानून' की सफलता और जीवन के इस एक सीन के प्रभाव के बाद फिल्म इंडस्ट्री ने उनकी अभिनय क्षमता को पहचाना.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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