धड़क 2 के ट्रेलर लॉन्च इवेंट पर जातिवाद पर बोले करण जौहर, कहा- नतीजों से डरने की जरूरत नहीं

सन 2018 में रिलीज़ हुई थी जान्हवी कपूर और ईशान खट्टर की धड़क, और अब 6 साल बाद आ रहा है इसका स्पिरिचुअल सीक्वल धड़क 2, जो 1 अगस्त को रिलीज होगा. यह फिल्म जातिवाद पर बात करती है.

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2018 में रिलीज हुई थी जान्हवी कपूर और ईशान खट्टर की धड़क
नई दिल्ली:

2018 में रिलीज हुई थी जान्हवी कपूर और ईशान खट्टर की धड़क और अब 6 साल बाद आ रहा है इसका स्पिरिचुअल सीक्वल धड़क 2, जो 1 अगस्त को रिलीज होगा. यह फिल्म जातिवाद पर बात करती है. फिल्म के ट्रेलर लॉन्च पर सवाल उठा कि क्या लोग आज भी जातिवाद में विश्वास रखते हैं और क्या इस तरह के संजीदा विषय उठाते वक्त आपको यह डर नहीं रहता कि कहीं सेंसर बोर्ड इसमें से काफी कुछ काट न दे? इस सवाल पर करण जौहर ने बड़ी संजीदगी से जवाब दिया.

उन्होंने कहा, "मुझे लगता है धर्मा प्रोडक्शन्स हमेशा से एक खास किस्म के सिनेमा से जुड़ा रहा है, लेकिन समय-समय पर हमने हमेशा उसे बदलने की कोशिश की है. हमने कई मुद्दों को चुना है और उन्हें पूरी संवेदनशीलता के साथ पेश किया है. धड़क 2 के लिए भी यही जरूरत थी. हम एक ऐसा विषय उठा रहे थे, जिस पर बात होना बेहद जरूरी है. और मुझे लगता है कि किसी भी बदलाव की शुरुआत कला के जरिए ही हो सकती है. मेरा मानना है कि सिनेमा एक बेहद असरदार माध्यम है. अगर हम, जो कहानीकार हैं और कंटेंट क्रिएटर हैं, ऐसे विषयों को नहीं उठाएंगे और उनकी कहानियां नहीं बताएंगे, तो कौन बताएगा? और हां, यह एक मेनस्ट्रीम फिल्म है. एक मेनस्ट्रीम, इंटेंस लव स्टोरी, लेकिन इसमें एक बात कही गई है".

करण ने सेंसर बोर्ड पर बात करते हुए आगे कहा, "मैंने कभी भी नतीजों के असर से डरकर अपनी बात कहने से परहेज नहीं किया. हां, कभी-कभी उसके नतीजों की चिंता होती है, लेकिन वही एक कलाकार के तौर पर तुम्हें रोकती है. मुझे लगता है अगर तुम्हें कोई बात समझानी है, तो उसका सबसे अच्छा जरिया कला है. अगर तुम्हें अपनी बात लोगों तक पहुंचानी है, तो वह कला के जरिए ही हो सकता है. मैं यह भी कहना चाहता हूं कि हां, हमें फिल्म को सिनेमाघरों तक पहुंचाने में थोड़ा वक्त लगा, लेकिन सेंसर बोर्ड ने बहुत समझदारी दिखाई, बहुत सहानुभूति दिखाई, और उन्होंने पूरी तरह समझा कि हम फिल्म के ज़रिए क्या कहना चाहते थे".

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सेंसर बोर्ड की संवेदनशीलता पर बोलते हुए करण ने कहा, "उन्होंने भी संवेदनशीलता की रक्षा की और हमने भी. हम दोनों ने मिलकर काम किया. हमने उनके नजरिये को समझा और उसका सम्मान किया. हां, कभी-कभी इन चीजों में वक्त लगता है. यह रातों-रात नहीं हो सकता. इसीलिए सेंसर की प्रक्रिया बनी हुई है, जिसे हमें मानना पड़ता है. वे चाहते हैं कि आप फिल्म बहुत पहले जमा करें ताकि वे उसे ठीक से देख सकें. हमने उन्हें पूरा सम्मान दिया. हमने वक्त लिया, सबके लिए, और हमें अपने फाइनल प्रोडक्ट पर बहुत गर्व है कि हम कहानी को वैसे ही कह पाए जैसे हमने सोचा और कल्पना की थी. और हां, यह एक ऐसी कहानी है, जो आपको झकझोर देगी और सोचने पर मजबूर करेगी. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि यह हमारे समय की सच्चाई है, चाहे आप कहीं भी रहते हों. इस विषय पर बात होनी ही चाहिए. और मुझे गर्व है कि हम इसे कह पाए".

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जातिवाद पर हिंदी सिनेमा में बहुत सी फिल्में बनी हैं और करण का कहना है कि धड़क 2 जातिवाद के मुद्दे का एक और पहलू दर्शाती है. धड़क 2 की निर्देशक शाजिया इकबाल हैं और इस फिल्म से वे निर्देशन में कदम रख रही हैं.

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