ऋषभ शेट्टी की फिल्म 'कांतारा' कन्नड़ की वन ऑफ द मोस्ट प्रॉफिटेबल फिल्मों में से एक है. सप्तमी गौड़ा स्टारर ये एक्शन-थ्रिलर बॉक्स ऑफिस पर सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर हिट साबित हुई है. कन्नड़ में अच्छी खासी सफलता मिलने के बाद इस फिल्म को हिंदी और तेलुगु में भी रिलीज किया गया है. फिल्म में लीला का किरदार निभाने वाली एक्ट्रेस सप्तमी गौड़ा इन दिनों फैंस के दिलों पर राज कर रही हैं. उनकी सादगी और खूबसूरती के फैंस कायल हो गए हैं. पर क्या आप जानते हैं कि फिल्म ही नहीं असल जिंदगी में भी सप्तमी बहुत ही सिंपल लाइफ जीना पसंद करती हैं. तो चलिए आपको रूबरू कराते हैं फिल्म 'कांतारा' की लीला यानी सप्तमी गौड़ा से.
सप्तमी गौड़ा का जन्म बेंगलुरु, कर्नाटक में उमेश एसके डूडी और शांता मदैया के घर हुआ था. उनके पिता असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर हैं. सप्तमी गौड़ा ने बाल्डविन गर्ल्स हाई स्कूल में पढ़ाई की, उसके बाद बैंगलोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में सिविल इंजीनियरिंग की.
आपको जानकर हैरानी होगी कि 'कांतारा' की लीला यानी सप्तमी गौड़ा सिर्फ एक बेहतरीन एक्ट्रेस ही नहीं बल्कि एक नेशनल लेवल की स्विमर भी हैं. फिल्म कांतारा में सप्तमी के लीला के किरदार को बेहद पसंद किया जा रहा है. सप्तमी ने वन रक्षक और ऋषभ की प्रेमिका की भूमिका निभाई है.
पर क्या आप जानते हैं कि इस फिल्म में सादगी भरे अंदाज से लोगों का दिल जीतने वाली सप्तमी असल जिंदगी में भी बहुत ही सिंपल लाइफ जीती हैं. सप्तमी का इंस्टाग्राम अकाउंट देखें तो उनकी तस्वीरों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह अपनी जिंदगी को कितनी पॉजिटिविटी के साथ जीना पसंद करती हैं. उन्होंने अपने इंस्टा प्रोफाइल पर अपनी फैमिली के साथ कई तस्वीरें शेयर की हैं. फिल्म की सक्सेस के बाद भी सप्तमी की पर्सनल लाइफ में कोई खास बदलाव नहीं आया है. एक इंटरव्यू में अपनी फैमिली का जिक्र करते हुए सप्तमी ने बताया कि,'फिल्म के रिलीज के बाद भी वह अपने घर के वो तमाम काम करती हैं जो पहले से करती आई हैं. परिवार बेहद खुश है लेकिन उनके बर्ताव में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं आया है. यह बात इस ओर इशारा करती है कि सप्तमी को सिंपलीसिटी उनकी फैमिली से मिली है.
एक इंटरव्यू में सप्तमी ने बताया कि, 'ऋषभ शेट्टी को अपनी फिल्म में एक ऐसे चेहरे की तलाश थी, जो फिल्म के लिए बिल्कुल सही हो और इंस्टाग्राम पर मेरी तस्वीर ढूंढी और इस तरह सर ने मुझे ऑडिशन और लुक टेस्ट के लिए बुलाया और फिर लुक बिल्कुल ठीक था. लेकिन कन्नड़ में मूल फिल्म मैंगलोर कन्नड़ है लेकिन मैं बैंगलोर से हूं, इसलिए वहां भाषाओं का मेल नहीं था, इसलिए हमने कैरेक्टर और लैंग्वेज पर एक सेमिनार शुरू किया. इसमें लगभग दो महीने लग गए. फिर फिल्म का जो रोमांच शुरू हुआ उससे मुझे बहुत कुछ सीखने और समझने को मिला'.
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