कंगना रनौत की मां अब भी करती हैं खेतों में कड़ी मेहनत, बोलीं-दो रोटी और नमक खाकर...

कंगना रनौत ने हाल ही में अपनी मां के बारे में बात की है, जो एक सरकारी स्कूल में संस्कृत टीचर रह चुकी हैं. उन्होंने कहा कि उनकी मां अपनी बेटी की संपत्ति के कारण अमीर नहीं हैं, बल्कि वह आज भी एक समान्य जीवन जीती हैं.

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कंगना रनौत की मां अब भी करती हैं खेतों में काम
नई दिल्ली:

कंगना रनौत आए दिन सुर्खियों में रहती हैं. हाल ही में उन्होंने अपनी मां के बारे में बात की है, जो एक सरकारी स्कूल में संस्कृत टीचर रह चुकी हैं. उन्होंने कहा कि उनकी मां अपनी बेटी की संपत्ति के कारण अमीर नहीं हैं, बल्कि वह आज भी एक समान्य जीवन जीती हैं. उन्होंने एक ट्विटर यूजर को जवाब देते हुए अपनी मां की खेत में काम करते हुए फोटो शेयर की. ट्विटर यूजर को जवाब देते हुए कंगना ने लिखा, 'कृपया ध्यान दें, मेरी मां मेरी वजह से अमीर नहीं हैं. मैं राजनेताओं, ब्यूरोक्रेट्स और बिजनेस फैमिली से आती हूं. मॉम 25 साल से ज्यादा समय से टीचर रह चुकी हैं. फिल्म माफिया को समझना चाहिए कि मैं कहा से आती हूं. मैं उनकी तरह शादियों में घटिया चीजें और डांस क्यों नहीं कर सकती.

रविवार को कंगना ने खेत में काम करती अपनी मां की एक फोटो शेयर की थी और कहा था कि वह रोजाना 7-8 घंटे खेत में काम करती हैं. उन्होंने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरीज पर भी लिखा कि कैसे उनकी मां को बाहर खाना, विदेश जाना, फिल्म के सेट पर जाना या मुंबई में रहना पसंद नहीं है. उन्होंने कहा कि जब वे उन्हें इसमें से कुछ करने के लिए कहती हैं तो उनकी मां उन्हें डांटती हैं.अपनी इंस्टाग्राम स्टोरीज पर पोस्ट को शेयर करते हुए उन्होंने लिखा था, "भिखारी मूवी माफिया जो शादियों में नाचते हैं और कुछ सिक्कों के लिए आइटम सॉन्ग करते हैं. वे कभी नहीं जान पाएंगे कि रियल कैरेक्टर, इंटीग्रिटी मैटेरियल वेल्थ से अलग है. इसलिए मैंने कभी उनका सम्मान नहीं किया, मैं उनका कभी सम्मान नहीं करूंगी." 

सोमवार को कंगना ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरीज पर आगे लिखा, “फिल्म माफिया ने हमेशा मेरे रवैये को मेरा अहंकार कहा. मेरी मां ने मुझे दो रोटी और नमक खाकर भी जीवित रहना सिखाया है, लेकिन कभी भी किसी से भीख मांगना नहीं सिखाया है. उन्होंने मुझे कुछ भी ऐसा नहीं कहना सिखाया है जो मुझे पसंद नहीं है. उन्होंने मुझे गालियां दीं और मुझे पागल घोषित कर दिया, क्योंकि मैं दूसरी लड़कियों की तरह हंसी-मजाक नहीं करती या शादियों में नाचती या हीरोज़ के कमरों में नहीं जाती. क्या यही कारण है कि किसी को निशाना बनाया जाना चाहिए, प्रताड़ित किया जाना चाहिए या अलग-थलग किया जाना चाहिए?

उन्होंने आगे लिखा, "अब भी मैं एक फिल्म बनाने के लिए अपना एक-एक पैसा लगाती हूं, आज मेरे पास कुछ भी नहीं है. जब मैं अपनी मां को खेतों में काम करते देखती हूं तो मुझे लगता है कि मेरे पास सब कुछ है. क्या बिगाडोगे तुम मेरा, मैं यहां आई हूं रक्षा करने का अपने लिए कुछ भी नहीं चाहिए."
 

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