Kaagaz Review: कागजी मौत और असल जिंदगी की जद्दोजहद है 'कागज', पंकज त्रिपाठी ने जीता दिल

Kaagaz Review: एक शख्स है. वह मरा नहीं है. लेकिन फिर भी उसे मृत घोषित किया जा चुका है और वह भी कागजों में. अब उसे खुद को जिंदा साबित करना है. जानें कैसी है फिल्म...

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Kaagaz Review: जानें कैसी है पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi) की 'कागज'
नई दिल्ली:

Kaagaz Review: एक शख्स है. वह मरा नहीं है. लेकिन फिर भी उसे मृत घोषित किया जा चुका है और वह भी कागजों में. अब उसे खुद को जिंदा साबित करना है. यही कहानी है फिल्म 'कागज (Kaagaz)' की. जिसे सतीश कौशिक (Satish Kaushik) ने डायरेक्ट किया है और इसमें पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi) लीड कैरेक्टर लाल बिहारी के किरदार में हैं. फिल्म की पूरी कहानी लाल बिहारी के खुद को जिंदा साबित करने की जद्दोजहद को उकेरती है. फिल्म को सलमान खान ने प्रोड्यूस किया है. 

फिल्म की कहानी बैंड मास्टर लाल बिहारी की है. जिसकी बैंड का दुकान है. एक दिन किसी काम की वजह से उसे अपनी जमीन बेचने का ख्याल आता है. वह अपनी चाची के घर पहुंचता है. लेकिन वहां पता चलता है कि वह लोग उसकी जमीन को बेच चुके हैं. उन्होंने जमीन उसे मृत घोषित करके बेची है. इस तरह लाल बिहारी कागजों की तफ्तीश करता है तो उसमें वह मृत निकलता है. इस तरह अब उसके पास खुद को जिंदा साबित करने का टास्क है. आखिर में वह कोर्ट का सहारा लेता है और फिर उसका असली संघर्ष शुरू होता है. इस तरह 'कागज (Kaagaz)' को एक असली कहानी पर आधारित करके बनाया गया है. 

'कागज (Kaagaz)' की कुल मिलाकर जो जमा-पूंजी है, वह पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi) है. पंकज त्रिपाठी सामान्य कैरेक्टर को इतनी आसानी से खास बना देते हैं कि वह दिल में उतर जाता है. यही बात कागज में भी देखने को मिलती है. फिल्म के बाकी कलाकार ठीक हैं. फिल्म दिखलाती है कि किस तरह इस देश में कागज से ऊपर कुछ नहीं और आम आदमी को खुद को सिद्ध करने के लिए किस हद तक जाना पड़ता है. ऐसे में ZEE5 की इस फिल्म को एक बार देखना तो बनता ही है. 

रेटिंगः 3.5/5 स्टार
डायरेक्टरः सतीश कौशिक
कलाकारः पंकज त्रिपाठी, मोनल गज्जर और अमर उपाध्याय

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