सिर जो तेरा चकराए या दिल डूबा जाए...मालिश तेल मालिश...गाना सुनकर एक चेहरा याद आया. वही चेहरा और वही एक्टर ने जिसने पर्दे पर कभी हंसाया तो कभी रुलाया लेकिन जो भी किया दिल छू लिया. आपको जानकर हैरान होगी कि फिल्मी दुनिया के एक क्लासिक आर्टिस्ट बन चुके जॉनी लीवर BEST बस में कंडक्टर के तौर पर काम किया करते थे. सफर के दौरान वो सवारियों को खूब एंटरटेन किया करते थे. मन में यही बात रहती थी कि क्या पता किसी दिन कोई नोटिस कर जाए और काम मिल जाए. मजेदार बात देखिए कि उनकी जिंदगी में ट्विस्ट भी ऐसे ही आया.
बलराज साहनी उस वक्त या तो बाजी की स्क्रिप्ट लिख रहे थे या फिर हलचल में काम कर रहे थे उन्होंने जॉनी से कहा कि वो शराबी आदमी की एक्टिंग गुरु दत्त को करते दिखाएं. बलराज साहनी से इस मुलाकात की वजह से जॉनी को फिल्म में काम मिल गया. गुरुदत्त ही थे जिन्होंने मशहूर व्हिस्की ब्रैंड के नाम पर बदरुद्दीन जमालुद्दीन काजी का नाम जॉनी वॉकर रखा.
फिल्म के सेट पर ही मिली लाइफ पार्टनर
जॉनी अपनी पत्नी नूरजहां से फिल्म आर पार (1954) के सेट पर मिले थे. जॉनी नूरजहां को देखते ही प्यार में पड़ गए और साल 1955 में दोनों ने शादी कर ली. शादी के बाद बच्चों और घर जिम्मेदारी लेने के लिए नूरजहां ने फिल्मी दुनिया को अलविदा कह दिया. नूरजहां बॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस शकीला की बहन थीं. जॉनी और नूरजहां की तीन बेटियां और तीन बेटे हुए. जॉनी खुद पैसों की तंगी वजह से पढ़ नहीं पाए थे और छठी क्लास में ही उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ा. इसलिए उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए अमेरिका भेजा था.