करोड़ों की नेटवर्थ वाला ये एक्टर फीस ना पाने के चलते हुआ था स्कूल से बाहर, सातवीं में ही छूट गई थी पढ़ाई

फिल्मों में अपनी कॉमेडी से रंग भरने वाले इस कलाकार की खुद की शुरुआती जिंदगी संघर्षों के ब्लैक एंड व्हाइट कलर से भरी थी.

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हैप्पी बर्थडे जॉनी लीवर
नई दिल्ली:

फिल्मों में अपनी कॉमिक टाइमिंग और कमाल के एक्सप्रेशन देने वाले एक्टर्स की अगर बात हो तो जॉनी लीवर के नाम के बिना ये बातें ही अधूरी रह जाएं. जॉनी लीवर सालों से कभी स्क्रीन पर तो कभी मंच से लोगों को हंसाते आ रहे हैं...हालांकि उनकी खुद की जिंदगी में इस हंसी और खुशी की एंट्री काफी देर से हुई. इस कॉमेडी स्टार ने अपने बचपन के दिनों से ही उन्होंने अलग-अलग परेशानियां देखीं, पैसों की तंगी देखी...पिता को शराब की लत थी और वे अपने बच्चों की तरफ से इतने बेफिक्र थे कि फीस के नाम पर उनकी तरफ से निल बटे सन्नाटा ही रहता था. कुछ समय पहल एक इंटरव्यू में बातचीत के दौरान जॉनी लीवर ने अपने स्कूल के दिनों को याद किया. उन्होंने बताया कि फीस ना देने की वजह से उन्हें सातवीं में स्कूल से निकाल दिया गया था. उन्होंने बताया कि स्कूल छोड़ने के बाद भी उनकी टीचर ने कैसे उनका खयाल रखा.

स्कूल में ही सीख ली थी मिमिक्री की कला

जॉनी लीवर ने अपने फिल्मी करियर में 300 से ज्यादा हिंदी फिल्मों में काम किया है. वह दीवाना मस्ताना (1997) और दूल्हे राजा (1998) जैसी फिल्मों में अपनी कॉमिक टाइमिंग से खूब पॉपुलर हुए और लोगों को पसंद आए. इसके लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला. जॉनी हाल में रोहित शेट्टी की फिल्म सर्कस में नजर आए थे. इस फिल्म में रणवीर सिंह और वरुण शर्मा डबल रोल में थे. अब जॉनी Welcome to the jungle में नजर आने वाले हैं.

जॉनी लीवर ने मैशेबल इंडिया को दिए एक नए इंटरव्यू में अपने शुरुआती समय के बारे में बात की. जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने 7वीं में पढ़ाई क्यों छोड़ दी तो उन्होंने 'द बॉम्बे जर्नी' के एक एपिसोड में कहा, "मेरे पिता शराबी थे इसकी वजह से उन्होंने कभी हम पर ध्यान नहीं दिया लेकिन यह मेरे बड़े चाचा थे जो पैसों से हमारी मदद कर दिया करता थे. इनसे फीस और राशन हो जाया करता था. कुछ समय बाद मुझे गुस्सा आ गया और मैंने स्कूल छोड़ दिया लेकिन जब मैं स्कूल में था तो मुझे बहुत प्यार मिला...मैं सबकी नकल करता था.”

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“यहां तक कि टीचर्स भी. मेरी क्लास टीचर, दमयंती टीचर, बहुत प्यारी थीं. मैं अब भी उनके संपर्क में हूं. जब मैं चला गया तो उन्होंने स्टूडेंट्स को मुझे बुलाने के लिए भेजा और यहां तक कि स्कूल में वापस शामिल होने के लिए मेरी फीस और कपड़े का खर्च उठाने को भी कहा.”

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