विवेक अग्निहोत्री के 'प्रोटीन बॉडी' कमेंट पर जॉन अब्राहम का करारा जवाब, बोले- 'छाती ठोकने वाली फिल्में...'

हाल ही में द बंगाल फाइल्स के डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री ने जॉन अब्राहम पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि जॉन को अपनी प्रोटीन वाली बॉडी पर ध्यान देने की जरूरत है, न कि उनकी फिल्मों पर कमेंट करने की.

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जॉन अब्राहम ने कहा कि बिना शोर मचाए भी फिल्में बन सकती हैं
नई दिल्ली:

बॉलीवुड एक्टर जॉन अब्राहम हाल ही में सुर्खियों में आए जब उन्होंने फिल्मों और समाज पर अपने बेबाक विचार रखे. जॉन ने साफ कहा कि आज हम एक हाइपर-पॉलिटिकल माहौल में जी रहे हैं, जहां धर्म के आधार पर समाज बंट रहा है और कई फिल्में बिना किसी खास क्राफ्ट या गहराई के सिर्फ इस माहौल का फायदा उठाकर पैसे कमा रही हैं. जॉन का कहना है कि देशभक्ति पर फिल्में बनाई जानी चाहिए लेकिन वह जिम्मेदारी और संतुलन के साथ हों, न कि छाती ठोकने वाली या जिंगोइस्टिक. उन्होंने अपनी फिल्म द डिप्लोमैट का उदाहरण दिया, जिसमें वह भारतीय डिप्लोमैट जे. पी. सिंह के रोल में नजर आए थे, जिन्होंने पाकिस्तान से एक भारतीय महिला को बचाया था.

उन्होंने कहा, "The Diplomat ऐसी फिल्म है, जो देशभक्ति तो दिखाती है लेकिन शोर मचाए बिना, जिम्मेदारी से". जॉन ने यह भी माना कि कुछ फिल्में सिर्फ प्रोपेगेंडा के लिए बनाई जा रही हैं. ऐसी फिल्मों में क्राफ्ट और बारीकी नहीं होती, बस ट्रोप्स होते हैं. उनका कहना है कि यह दर्शकों और समाज के लिए खतरनाक है. जॉन ने कहा कि उनका प्रयास हमेशा ऐसी फिल्में बनाने का होता है जो संतुलित और वास्तविक घटनाओं पर आधारित हों. जैसे मद्रास कैफे (श्रीलंका का गृहयुद्ध और राजीव गांधी की हत्या), परमाणु (पोखरण परमाणु परीक्षण) और द डिप्लोमैट.

पैसा कमाना जरूरी, लेकिन जिम्मेदारी भी

जॉन मानते हैं कि कमर्शियल फिल्मों से पैसा कमाना आसान है. उन्होंने अपनी फिल्म पठान का जिक्र करते हुए कहा कि मजेदार और एंटरटेनिंग फिल्मों से भी कमाई हो सकती है, लेकिन वह कभी भी समाज को बांटने वाली या सिस्टम का फायदा उठाने वाली फिल्में नहीं बनाएंगे. उनका कहना है, "मैं जिम्मेदार नागरिक के तौर पर पला-बढ़ा हूं. गलतियां हो सकती हैं, लेकिन कोशिश यही रहती है कि सही बातें ही सामने आएं".

विलेन नहीं, एंटी-हीरो

जॉन ने यह भी बताया कि उन्हें एंटी-हीरो का रोल करना पसंद है. चाहे धूम हो या शूटआउट एट वडाला, उन्होंने अपने किरदार को हमेशा कहानी का केंद्र माना. उनका मानना है कि आज के दौर में हीरो और विलेन की लाइनों को धुंधला होना चाहिए और यही आगे का रास्ता है.

तेहरान की कहानी

जॉन की हालिया फिल्म तेहरान (ZEE5 पर) इसी सोच का हिस्सा है. यह फिल्म इजराइल और ईरान के बीच तनाव और 2012 में दिल्ली स्थित इजराइली एंबेसी के पास हुए बम धमाके से प्रेरित है. इसमें जॉन ने एसीपी राजीव कुमार का रोल निभाया है जो एक गुप्त मिशन का हिस्सा बनते हैं

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