मशहूर गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्तर ने अपनी जिंदगी के शुरुआती संघर्षों को याद करते हुए एक भावुक पोस्ट शेयर की है, जो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है. एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट किए गए इस संदेश में जावेद ने बताया कि 4 अक्टूबर 1964 को 19 साल की उम्र में वे बॉम्बे सेंट्रल स्टेशन पर उतरे थे, जेब में सिर्फ 27 नये पैसे थे. उन्होंने बेघर होना, भुखमरी और बेरोजगारी का सामना किया, लेकिन आज जब वे अपनी जिंदगी का हिसाब लगाते हैं, तो लगता है कि जीवन ने उन पर बहुत मेहरबानी की है.
जावेद अख्तर ने मुंबई, महाराष्ट्र, अपने देश और उन सभी लोगों का शुक्रिया अदा किया, जिन्होंने उनके काम को सराहा. जावेद अख्तर खुद को एथीस्ट और कट्टर आशावादी बताते हैं. उन्होंने इस पोस्ट में लिखा, '4 अक्टूबर 1964 को एक 19 साल का लड़का अपनी जेब में 27 नए पैसे लेकर बॉम्बे सेंट्रल स्टेशन पर उतरा था. बेघर, भुखमरी और बेरोजगारी से गुजरा, लेकिन जब मैं कुल मिलाकर देखता हूं तो मुझे लगता है कि जिंदगी मुझ पर बहुत मेहरबान रही है. इसके लिए मैं मुंबई, महाराष्ट्र, अपने देश और उन सभी लोगों का शुक्रिया अदा किए बिना नहीं रह सकता जिन्होंने काम को इतनी उदारता से देखा. शुक्रिया, बहुत-बहुत शुक्रिया.'
जावेद अख्तर की इस पोस्ट पर फैन्स ने लिखा, “हमें आपके देश में होने का सौभाग्य मिला, आप बहादुर और दयालु इंसान हैं. तसलीमा जी के लिए आपका स्टैंड कमाल का था.” वहीं, एक कमेंट उनके पिता जां निसार अख्तर और दादा मुज्तर खैराबादी की विरासत का जिक्र किया कि जावेद की यात्रा समर्पण की मिसाल है.
हालांकि, कुछ यूजर्स ने आलोचना भी की. एक यूजर ने लिखा कि जावेद विशेषाधिकार प्राप्त बैकग्राउंड से थे, और यह गरीबी की कहानी बनाना बंद करें. वहीं एक ने उनके एथीस्ट होने पर तंज कसा. जावेद अख्तर बॉलीवुड के दिग्गज हैं, जिन्होंने ‘शोले', ‘जंजीर' जैसी फिल्मों की स्क्रिप्ट लिखी.