भारत के रईसों की बात की जाए तो अंबानी-अडाणी जैसे नाम ही याद आते हैं. आज की तारीख में इनकी जैसी मिल्कियत हासिल करना आसान नहीं है. लेकिन यही सवाल अगर अंग्रेजों के भारत आने से पहले के समय का पूछा जाए तब आप किसी रईस का नाम लेंगे. ये तो आपने सुना ही होगा कि अंग्रेजों के भारत में आने से पहले इस देश को सोने की चिड़िया कहा जाता था. ये बात 18वीं सदी की है जब भारत में एक ऐसा रईस शख्स भी था जिससे खुद अंग्रेज कर्ज लिया करते थे. इस शख्स का नाम था सेठ फतेहचंद. जिन्हें लोग जगत सेठ कहा करते थे. ये नाम भी क्यों मिला इसकी भी एक दिलचस्प कहानी है.
ऐसे मिला नाम
उस दौर में जगत सेठ एक उपाधि हुआ करती थी. ये उन लोगों को दी जाती थी जो लोग बहुत रईस हुआ करते थे. इस उपाधि का मतलब होता था दुनिया का बैंकर या व्यापारी जो दूसरों को कर्ज देता है. ये उपाधि सेठ फतेहचंद को उस समय के मुगल सम्राट फर्रुखसियर ने दी थी. जगत सेठ का परिवार मूलतः राजस्थान का था. लेकिन साल 1652 में वो पटना आ गए थे. उसकी वजह थी पटना का तेजी से बड़े व्यापार केंद्र के रूप में उभरना. यहां आकर उन लोगों ने नमक का कारोबार शुरू किया और यूरोपीय देश उनके ग्राहक बनते चले गए. कारोबार बढ़ा तो इस परिवार ने पैसा ब्याज पर देने का काम शुरू कर दिया.
इतनी थी नेट वर्थ
पीढ़ी दर पीढ़ी कारोबार कर रहे जगत सेठ की कुल संपत्ति यानी कि नेटवर्थ 8.3 लाख करोड़ की बताई जाती है. कहा जाता है कि उनके परिवार ने तकरीबन पचास साल तक फाइनेंस का ये काम किया और इस क्षेत्र में उनका एकछत्र राज भी रहा. कुछ रिपोर्ट्स में तो ये दावा भी किया गया है कि जगत सेठ की संपत्ति उस वक्त ब्रिटिश साम्राज्य से भी ज्यादा थी. जगत सेठ का परिवार और नवाब मुर्शिद कुली खास दोस्त हुआ करते थे. उन दोनों ने मिलकर ही मुर्शीदाबाद बनाया था. हालांकि अब जगत सेठ के वंशज कहां है इसकी कोई जानकारी नहीं मिलती है.