फिटनेस आइकन, एंटरप्रेन्योर और सोशल मीडिया पर्सनालिटी के रूप में पहचान बनाने से पहले कृष्णा श्रॉफ (Krishna Shroff) एक ऐसे क्षेत्र में काम करती थीं, जिसकी उम्मीद बहुत कम लोग करते. श्रॉफ नाम से जुड़ी चकाचौंध और शोहरत से बहुत पहले, कृष्णा ने अपनी पहली सैलरी बास्केटबॉल कोचिंग देकर कमाई थी. एक ऐसा खेल जिसके लिए वह बचपन से ही जुनूनी रही हैं. एथलेटिक्स और टीम डायनामिक्स के प्रति उनके प्रेम ने उन्हें स्वाभाविक रूप से कोर्ट की ओर आकर्षित किया जहां उन्होंने न केवल खेला बल्कि बच्चों को ट्रेनिंग भी दी.
एक ऐसी इंडस्ट्री में जहां अक्सर सेलिब्रिटी बच्चों को फिल्मों या फैशन की दुनिया में तुरंत जगह मिल जाती है, कृष्णा ने स्पॉटलाइट से दूर हट कर अपना अलग रास्ता चुना. बास्केटबॉल कोचिंग उनके लिए सिर्फ एक नौकरी नहीं थी, बल्कि नेतृत्व, संवाद कौशल और अनुशासन जैसे गुणों को विकसित करने का माध्यम भी थी, जो आज भी उनके जीवन और करियर को आकार दे रहे हैं.
यह काम उनकी आत्मनिर्भर स्वभाव और अपने उपनाम से मिलने वाले विशेषाधिकारों पर निर्भर रहने के बजाय, अपनी शर्तों पर कमाने की उनकी इच्छा को भी दर्शाता है, और उनकी एथलेटिक क्षमता को निखारने की बात तो छोड़ ही दीजिए, जो उनके मौजूदा रियलिटी शो "छोरियां चली गांव" में उनके काम आ रही है.
आज कृष्णा श्रॉफ फिटनेस इंडस्ट्री में एक जाना-पहचाना नाम हैं. वह अपने भाई टाइगर श्रॉफ और मां आयशा श्रॉफ के साथ MMA मैट्रिक्स जिम फ्रैंचाइजी की मालकिन हैं. फिटनेस वेंचर्स और सोशल मीडिया पर उनकी दमदार उपस्थिति के बावजूद, उनके करियर की नींव उसी बास्केटबॉल कोचिंग के अनुभव ने रखी थी.
वास्तव में, बास्केटबॉल कोर्ट से लेकर बिजनेस वेंचर्स तक कृष्णा श्रॉफ ने यह साबित कर दिया है कि सफलता हमेशा रेड कार्पेट से शुरू नहीं होती — कभी-कभी इसकी शुरुआत एक सीटी और प्लेबुक के साथ होती है.