बॉलीवुड की फिल्मों को बनने में कई महीने लग जाते हैं ताकि कहानी, एक्टिंग और डायरेक्शन सब सही जाए और फिल्म की रिलीज बिना किसी मुश्किल के बिल्कुल परफेक्ट हो. हालांकि एक फिल्म ऐसी भी थी जो 1972 में रिलीज हुई थी जिसे बनने में 14 साल लग गए. हम बात कर रहे हैं कमाल अमरोही की लिखी और उन्हीं के डायरेक्शन में बनी और प्रोड्यूस हुई रोमांटिक ड्रामा फिल्म पाकीजा की. कमाल अमरोही और एक्ट्रेस मीना कुमारी की शादी 1952 में हुई थी और उन्होंने अपने रिश्ते पर आधारित फिल्म दायरा (1953) बनाई थी. ये फिल्म दर्शकों को इंप्रेस नहीं कर पाई इसके बाद कमाल अमरोही ने 1956 में अपनी पत्नी मीना कुमारी के साथ पाकीजा बनाने की प्लानिंग की.
शुरू में सेट, मीना कुमारी की टाइमिंग और लीड रोल को फाइनल लुक देने में कुछ अड़चनें आईं. इन सभी को सुलझने में 1964 तक का समय लगा, यही वह साल भी था जब कमाल अमरोही और मीना कुमारी व्यक्तिगत मतभेदों के कारण अलग हो गए थे, लेकिन वास्तव में कभी तलाक नहीं हुआ. पांच साल बाद, मीना कुमारी आखिरकार फिल्म पर फिर से काम शुरू करने के लिए राजी हो गईं. पाकीजा की शूटिंग नवंबर 1971 में पूरा हुआ और एडिटिंग एक महीने बाद खत्म हुई. 1.25 करोड़ रुपये के बजट में बनी पाकीजा ने बॉक्स ऑफिस पर 6 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई की और साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली हिंदी फिल्म बन गई.
पाकीजा 50 हफ्तों तक सिनेमाघरों में चली और खास तौर पर मीना कुमारी की मौत के बाद इसे काफी पॉपुलैरिटी मिली. कहा जाता है कि पाकीजा की शूटिंग के दौरान मीना कुमारी की सेहत और लुक 15 सालों में इतना बदल गया कि मेकर्स ने कुछ शॉट्स में उन्हें दुपट्टे से ढकने की कोशिश की और कुछ जगहों पर लंबे शॉट्स का इस्तेमाल किया. पाकीजा की रिलीज के तीन हफ्ते बाद मीना कुमारी बीमार पड़ गईं. दो दिन बाद वे कोमा में चली गईं और कुछ ही समय बाद 31 मार्च, 1972 को उनकी मौत हो गई. वे 38 साल की थीं. उनकी मौत का कारण लीवर सिरोसिस पाया गया. पाकीजा को अक्सर भारतीय सिनेमा की बेस्ट क्रिएशन में शामिल किया जाता है, साथ ही इसे मीना कुमारी के करियर की बेस्ट फिल्मों में से एक भी माना जाता है.