धर्मेंद्र, शर्मिला टैगोर, जया बच्चन और अमिताभ बच्चन की 'चुपके-चुपके' एक ऐसी फिल्म है जिसे आप कभी भी और कितनी भी बार देख सकते हैं. फिल्म की कहानी और किरदार इतने मजेदार हैं कि ये आपको एक भी पल के लिए भी बोर नहीं करते. जितनी मजेदार ये फिल्म थी...उतने ही मजेदार इससे जुड़े किस्से हैं. जैसे कि इस रोल के लिए अमिताभ बच्चन और जया बच्चन जिद पर उतर आए थे और इसके बदले एक पैसा भी नहीं लिया. IMDB पर मौजूद ट्रीविया के मुताबिक फिल्म के डायरेक्टर ऋषिकेश मुखर्जी चाहते थे कि अमिताभ बच्चन और जया बच्चन का रोल कोई न्यू कमर्स करें...लेकिन जब दोनों को खबर लगी कि फिल्म ऋषिकेश मुखर्जी बना रहे हैं तो दोनों ने इस फिल्म का हिस्सा बनने की जिद लगा ली.
ऋषिकेश मुखर्जी ने उन्हें काफी समझाया कि ये रोल उनके हिसाब से काफी छोटे हैं लेकिन वो तब भी इसके लिए राजी थे. वे बस किसी तरह इस फिल्म का हिस्सा बनना चाहते थे और आपको जानकर हैरानी होगी कि इस फिल्म के लिए उन्होंने कोई फीस भी नहीं ली थी.
1980 में फरवरी के सूर्यग्रहण के दौरान डीडी पर आई थी चुपके-चुपके
बिना चश्मे या प्रोटेक्शन के सूर्य ग्रहण देखना आंखों को नुकसान पहुंचा सकता है. ऐसे में सरकार को कुछ ऐसा करना था कि लोग घरों में रहें. अब क्या किया जाए. लोगों को कैसे घर पर रोका जाए. बस इसी दिशा में सोचते हुए सरकार ने सूर्य ग्रहण के दौरान डीडी पर चुपके-चुपके चलाने का फैसला किया. अब जनता को भी क्या चाहिए था. लोगों ने सूर्य ग्रहण के बहाने फैमिली के साथ अच्छी खासी फिल्म इंजॉय कर ली.