धर्मा प्रोडक्शन बॉलीवुड का जाना माना प्रोडक्शन हाउस है, जिसे 44 साल हो गए हैं स्टोरी टेलिंग और कल्ट क्लासिक फिल्में देते हुए. इसे 1976 में यश जौहर ने स्थापित किया था. वहीं आज इसके मालिक करण जौहर हैं, जिनका 1400 करोड़ नेटवर्थ है. हालांकि साल 2024 में डायरेक्टर करण जौहर ने प्रोडक्शन हाउस के 50 प्रतिशत 1000 करोड़ के शेयर अदार पूनावाला को बेच दिए. इसी बीच फिल्ममेकर ने अपने फैसले पर बात की और बताया कि उन्होंने यह फैसला इसलिए लिया क्योंकि वे कंपनी को आगे बढ़ाना चाहते थे और इसके लिए उन्हें फंड की जरूरत थी. उन्होंने अपनी कंपनी के इतिहास के बारे में भी बताया और कहा कि उन्होंने लगातार हिट फिल्में तभी बनाना शुरू किया जब करण ने 1998 में फिल्मों का निर्देशन करना शुरू किया, क्योंकि उससे पहले धर्मा की कई फिल्में फ्लॉप हो चुकी थीं.
राज शमानी के यूट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू में करण जौहर ने खुलासा किया कि धर्मा प्रोडक्शंस की कई फिल्में पहले कोलाब के साथ बनी थीं, यही वजह है कि प्रॉफिट का एक बड़ा हिस्सा भागीदारों के बीच बांटा जाना था. उन्होंने कहा कि वह अंततः ऐसी साझेदारी के माध्यम से फिल्में बनाने से सावधान हो गए और उन्होंने कहा, "मैं कोलाब प्रोजेक्ट नहीं करना चाहता था ताकि सारा मुनाफा धर्मा प्रोडक्शंस के पास रहे. उस समय हमारी सबसे बड़ी हिट फिल्मों में सभी भागीदार थे क्योंकि हम अपनी क्षमता के हिसाब से उन फिल्मों को फाइनेंस नहीं कर सकते थे, क्योंकि हम नए थे."
पिता की विरासत के बारे में करण जौहर ने कहा, जो लोग नेपोटिज्म कहते हैं, वह मेरा इतिहास नही जानते. मुझे अपने पिता से सम्मान तो मिला है, लेकिन पैसा नहीं. कुछ कुछ होता है से पहले हमारी लगातार 5 फिल्में फ्लॉप हुई थीं.”
करण जौहर ने याद किया कि यह उनकी फिल्म कुछ कुछ होता है थी, जिसने धर्मा प्रोडक्शंस को फिर से खड़ा किया. उन्होंने कहा, "1998 में कुछ कुछ होता है की रिलीज ने धर्मा प्रोडक्शंस को एक मजबूत कंपनी के रूप में स्थापित किया. मेरे पास जो था वह मेरे पिता की सद्भावना और उनका जबरदस्त विश्वास था. उनके पास जबरदस्त सद्भावना थी, उन्हें बहुत प्यार किया जाता था लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली."
करण जौहर ने यह भी बताया कि उनकी फिल्में जैसे कभी खुशी कभी गम, कुछ कुछ होता है, कल हो ना हो और कभी अलविदा ना कहना ने धर्मा प्रोडक्शन को बनाने में मदद की. लेकिन जब यश जौहर का निधन हुआ तो करण जौहर के बचपन के दोस्त अपूर्वा मेहता ने उनकी मदद की. उन्होंने कहा, मेरे पिता के निधन के बाद 2004 में मुझे कंपनी लेनी पड़ा और मैं यह अपूर्वा मेहता (धर्मा प्रोडक्शन के सीईओ) के बिना नहीं कर सकता था. वह स्कूल में मेरा बेस्ट फ्रेंड था और उसने लंदन में अपनी पूरी जिंदगी छोड़ रातोंरात मुंबई आने का फैसला किया. हमारी अपनी अपनी जर्नी है. आज तक मेरी बिजनेस सूझबूझ जीरो है, लेकिन सहज ज्ञान मजबूत है. वह व्यवसाय का हिस्सा संभालते हैं, मैं क्रिएटिव व्यक्ति हूं.
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला को धर्मा प्रोडक्शंस की हिस्सेदारी बेचने के अपने फैसले के बारे में बताते हुए करण जौहर ने कहा, "2023 में, हमें एहसास हुआ कि हमें लाभ उठाने और बढ़ने की जरूरत है. हमारे व्यवसाय में ऑर्गेनिक रूप से बढ़ने के लिए मुझे 5-7 साल और लग जाते. मुझे बढ़ने के लिए फंड की जरूरत थी और आज, मैं अदार के साथ अपनी साझेदारी से खुश हूं. वह एक अद्भुत इंसान हैं और उनकी प्रवृत्ति बहुत मजबूत है. मैं जवाबदेह महसूस करता हूं क्योंकि यह किसी और का पैसा है. मुझे सफलता पाने और अपनी कंपनी को लाभदायक बनाने की जरूरत है."