सुभाष घई के व्हिस्लिंग वुड्स इंटरनेशनल में राज कपूर की जन्म शताब्दी मनाने के मौके पर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस अवसर पर निर्देशक राहुल रवैल, जो राज कपूर के असिस्टेंट भी रह चुके हैं, ने राज कपूर के संगीत और गीतों के प्रति उनकी बेहतरीन समझ के बारे में दो यादगार किस्से साझा किए. राहुल रवैल ने बताया, "1968 में राज साहब ने मुझे दो गाने सुनाए थे. एक था ‘झूठ बोले कौवा काटे' और दूसरा ‘सुन साहिबा सुन'. मैंने उनसे पूछा, ‘सर, ये गाने किसके लिए हैं?". तो उन्होंने मुस्कराकर कहा, ‘"जब मैं कोई फिल्म बनाऊंगा, पहला मौका मिलेगा, इन्हें इस्तेमाल करूंगा". बाद में सचमुच ऐसा हुआ. ‘झूठ बोले कौवा काटे' फिल्म ‘बॉबी' में और ‘सुन साहिबा सुन' फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली' में इस्तेमाल हुआ.
आपको बता दें कि बॉबी के जिस गाने को राज कपूर ने 1968 में चुन लिया था. वही बॉबी 1973 में रिलीज हुई थी और ‘राम तेरी गंगा मैली' 1985 में रिलीज हुई, जिसमें वह दूसरा गाना नजर आया. आगे बोलते हुए राहुल रवैल ने ‘राम तेरी गंगा मैली' की कहानी कैसे राज कपूर के दिमाग में आई, वह किस्सा बताते हुए कहा- "एक बार राज साहब दिल्ली में एक शादी में गए थे, जहां गेस्ट ऑफ ऑनर थे. उस शादी में संगीतकार रविंद्र जैन जी गा रहे थे. उन्होंने गाया- एक मीरा एक राधा. यह गाना सुनते ही राज साहब खड़े हो गए और डब्बू साहब (रणधीर कपूर) से कहा- ढाई हज़ार रुपए देना".
डब्बू साहब ने पैसे दिए और राज साहब ने वह रकम रविंद्र जैन जी को दी और कहा, "यह साइनिंग अमाउंट है, मेरी अगली फिल्म का संगीत आप देंगे". फिर उन्होंने ढाई हजार रुपए और निकालकर कहा, "यह कहानी मैं आपसे खरीद रहा हूं. हम सब हैरान थे. हमने पूछा- कहानी? तो राज साहब बोले- हां, यह जो गाना है 'एक राधा एक मीरा', यहीं से मुझे कहानी मिली. मैं अब तक की सबसे बड़ी प्रेम कहानी बनाऊंगा".
जब उनसे पूछा गया कि इस गाने में रोमांस कहां है, तो उन्होंने मुस्कराकर कहा, "वो रोमांस मेरी कहानी में आएगा". और यही कहानी आगे चलकर फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली' बनी. राहुल रवैल द्वारा सुनाए गए इन किस्सों में राज कपूर की संगीत और कहानी समझ साफ झलकती है. राज कपूर का सिनेमा कैमरे के जरिए भी कविता कहता था और गानों के जरिए भी. राज कपूर के सिनेमा की खास बात यह थी कि वह मनोरंजन तो देता ही था, साथ में समाज सुधार की राह भी दिखाता था.