'मसान' (Masaan) जैसी समीक्षकों द्वारा प्रशंसित फिल्म का निर्देशन करने वाले नीरज घेवान ने 10 साल के अंतराल के बाद अपनी अगली फिल्म 'होम बाउंड' (Home Bound) बनाई है. हाल ही में फिल्म की प्रेस मीट के दौरान उनसे सवाल किया गया कि दूसरी फिल्म बनाने में इतना लंबा समय क्यों लगा, इस पर नीरज ने विस्तार से अपनी बात रखी. नीरज घेवान ने कहा कि वह खुद भी पिछले 10 साल से इस सवाल का जवाब ढूंढ रहे थे, लेकिन उन्हें आज तक इसका कोई ठोस जवाब नहीं मिला है. हालांकि, उन्हें यह अहसास हुआ कि वह कुछ ऐसा बनाना चाहते थे जो उन्हें अंदर से प्रेरित करे. वह एक ऐसी फिल्म बनाना चाहते थे जो उन्हें बिस्तर से उठने और उस पर काम करने के लिए मजबूर कर दे.
नीरज ने स्पष्ट किया कि यह महानता हासिल करने की चाह नहीं थी, बल्कि यह कुछ ऐसा था जो उन्हें भीतर से छू जाए. उन्होंने कहा कि वह एक ऐसे काम का हिस्सा बनना चाहते थे, जो उन्हें एक बड़े ब्रह्मांड और एक बड़ी चेतना का हिस्सा महसूस कराए, जो हमारे अस्तित्व से कहीं परे हो. उनका पूरा मकसद इसमें किसी भी तरह से योगदान करना था.
उन्होंने बताया कि इस दौरान उन्होंने देश भर का दौरा किया. एक समय पर वह 'फार्मा आत्महत्याओं' (pharma suicides) पर एक फिल्म बनाने के जुनून में थे, और एक बायोपिक पर भी काम कर रहे थे. उन्होंने कुछ शॉर्ट्स और टीवी शो भी किए, लेकिन किसी भी चीज ने उन्हें भीतर से प्रेरित नहीं किया.
आखिर में नीरज ने बताया कि 'होम बाउंड' फिल्म ने उन्हें सबसे ज्यादा प्रेरित किया क्योंकि यह दोस्ती को एक माध्यम के रूप में इस्तेमाल करती है. उन्होंने कहा, "दोस्ती के माध्यम से आप इतनी सारी बातें कर सकते हैं." उन्होंने आगे समझाया, "मैं कहूंगा कि जो मित्र और मैत्री तो उसका बहुत फर्क है. तो यह फिल्म मैत्री, बता रही है कि उसके दोस्ती के माध्यम से आप काफी चीजों का मेटाफर लेकर, बता रहे हैं कि दो दोस्त ही नहीं, दो परिवार, दो गुट, दो समाज और जो हमारा जो फासला, जो अर्बन और पुअर का भी. हम सबको एक जगह, एक पॉइंट पर सोचकर मैत्री लानी चाहिए."
फिल्म 'होम बाउंड' 26 सितंबर को रिलीज हो रही है. इसकी खास बात यह है कि यह फिल्म 'कान' (Cannes) और 'टोरंटो फिल्म फेस्टिवल' (Toronto Film Festival) में हिस्सा ले चुकी है, जहां इसे काफी सराहना मिली है. धर्मा प्रोडक्शंस के बैनर तले बनी इस फिल्म के एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर मार्टिन सोरसीज भी हैं.