होली का मौसम है. चारों ओर रंगों की छटाएं बिखरी हैं, फिर वह चाहे प्रकृति हो या फिर जिंदगी. होली का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिनों रंग गुलाल से लोग एक दूसरे से मिलते हैं. लेकिन होली एक ऐसा भी त्योहार है जिसमें रंगों की पिचकारी के साथ ही बातों की पिचकारियों भी खूब चलती हैं. होली पर शेरो-शायरी का अपना ही मजा है. एक दौर था जब होली पर खास मुशायरों और हास्य कवि सम्मेलनों का खूब आयोजन होता था. इनमों होली की ठिठोली के साथ कमाल की रूमानियत का जायका लोगों को मिलता था. होली के इस मौके पर हम आपके लिए कुछ चुनिंदा शायरी लाए हैं.
होली की शायरी (Holi Shayari):
बादल आए हैं घिर गुलाल के लाल
कुछ किसी का नहीं किसी को ख़याल
रंगीन सआदत यार ख़ाँ
ग़ैर से खेली है होली यार ने
डाले मुझ पर दीदा-ए-ख़ूँ-बार रंग
इमाम बख़्श नासिख़
मुँह पर नक़ाब-ए-ज़र्द हर इक ज़ुल्फ़ पर गुलाल
होली की शाम ही तो सहर है बसंत की
लाला माधव राम जौहर
सजनी की आँखों में छुप कर जब झाँका
बिन होली खेले ही साजन भीग गया
मुसव्विर सब्ज़वारी
मौसम-ए-होली है दिन आए हैं रंग और राग के
हम से तुम कुछ माँगने आओ बहाने फाग के
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
साक़ी कुछ आज तुझ को ख़बर है बसंत की
हर सू बहार पेश-ए-नज़र है बसंत की
उफ़ुक़ लखनवी
मुहय्या सब है अब अस्बाब-ए-होली
उठो यारो भरो रंगों से झोली
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
गले मुझ को लगा लो ऐ मिरे दिलदार होली में
बुझे दिल की लगी भी तो ऐ मेरे यार होली में
भारतेंदु हरिश्चंद्र
हम से नज़र मिलाइए होली का रोज़ है
तीर-ए-नज़र चलाइए होली का रोज़ है
जूलियस नहीफ़ देहलवी